झूठ के पनारों में / सम्पूर्णानंद मिश्र
झूठ के पनारों में / सम्पूर्णानंद मिश्र
घटनाएं घटती हैं
सृष्टि में
और रोज़ घटती हैं
कभी अच्छी
तो कभी बुरी
कुछ घटनाओं को
निगल जाता है पेट में
इतिहास
और कुछ उगील देता है
जो उगीलता है
वह तथ्य
पाठ्यक्रम में आ जाता है
और जो पाठ्यक्रम में है
वही सच है
और यह सच
रटवा दिया जाता है
नई पौध को
वैसे इस पाठ्यक्रम को
तैयार करने में
एक पूरा गिरोह होता है
उन्हें निज़ाम वाले
जानते हैं
जो पूरे दावे और
पूरी दांव-पेंच के साथ
ऐसे तथ्यों की बालों को
घसीटते हुए
इतिहास के पन्नों तक
ले आते हैं
माने जाते हैं वे
श्रेष्ठ इतिहासकार
और जिन तथ्यों को
तथ्यहीन समझकर
झूठ के पनारों में
डाल दिया जाता है
वे बजबजाते हैं
सच की राह ढूंढ़ते हैं
और जब पहुंचते हैं
सत्य की दिशा की तरफ़
तक तक न जाने
कितनी नस्लें हमारी
बारूद की फ़सलों
को उगाने के धंधों में
तबाह हो जाती हैं
सम्पूर्णानंद मिश्र
शिवपुर वाराणसी
7458994874