मेरी मां एक नज़्म – सविता चड्ढा
मेरी मां एक नज़्म मेरी माँ मेरी मां के पास बहुत सीमित धन था उसने मंदिर गुरुद्वारों में कभी लंगर नहीं लगाया था कोई बड़ा दान पुण्य का काम … Read More
मेरी मां एक नज़्म मेरी माँ मेरी मां के पास बहुत सीमित धन था उसने मंदिर गुरुद्वारों में कभी लंगर नहीं लगाया था कोई बड़ा दान पुण्य का काम … Read More
एक सोच (Best Nazm of Savita Chadha) प्रतिदिन चाहती हूं सुखों के फूल अपने गमलों में, उन्हें ही देख मैं सांस ले सकती हूं, मुझे सुखों के फूल बहुत पसंद … Read More