पलायन | दर्पण | Hindi kavita | अभिमन्यु पाल आलोचक

पलायन | दर्पण | Hindi kavita | अभिमन्यु पाल आलोचक 1. पलायन मैं छोंड़ आया वो शांत गाँवमुझको शहरों का शोर पसंद है। स्मृति के चित्र चित पर छपकरपीड़ित मन … Read More

रश्मि लहर की कविताएँ | हिंदीं कविता

१. सप्तर्षि का कंगन पहने सप्तर्षि का कंगन पहनेअंबर कुछ मुस्काता है। धीमे-धीमे, सॅंवर-सॅंवर करचंद्र किरण बिखराता है।। धूप पूजती पाॅंव धरा केजलधि प्रणाम सुहाता है।। डोल-डोल कर मलय प्रफुल्लितसरगम … Read More

होंठों पर रस-गागर धर दो | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

होंठों पर रस-गागर धर दो | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ हौले से छू लो तन मेरा,माटी कंचन हो जाये,सॉसों के इस महल-दुमहले,का अभिनन्दन हो जाये।टेक। रोम-रोम सिहरन भर जाती,भोर-प्रभाती या सॅझवाती,किससे … Read More

हिन्दू नव वर्ष पर कविता 2022 – Hindu New Year Poem in Hindi – हिन्दू नव वर्ष पोएम इन हिंदी – Hindu Nav Varsh Kavita Hindi me

हिन्दू नव वर्ष पर कविता 2022 – Hindu New Year Poem in Hindi – हिन्दू नव वर्ष पोएम इन हिंदी – Hindu Nav Varsh Kavita Hindi me नवसंवत्सर झड़ गए … Read More

‘लिखो न उदासी’ | रश्मि लहर | Hindi Kavita

‘लिखो न उदासी’ | रश्मि लहर | Hindi Kavita ‘लिखो न उदासी’ डुबो दो खुशी में, लिखो न उदासी।तुम्हें फिर है लिखना कोई गीत साथी।।भरो भावनाएं अलंकृत करो नेह,पुकारो कलम … Read More

जो गलत है उसका विरोध करो | अभिमन्यु पाल आलोचक

जो गलत है उसका विरोध करो | अभिमन्यु पाल आलोचक जो गलत है उसका विरोध करो निर्भीक बनो अवरोध करोजो गलत है उसका विरोध करो,यदि मानव हो तो मानव बनकरतुम … Read More

सखी नदिया की रेत तपे / आशा शैली

सखी नदिया की रेत तपे / आशा शैली सखी नदिया की रेत तपेप्रीत निगोड़ी सुनहु सखी,मरने ना जीने देसखी नदिया की रेत तपे जाने कब घन गगन घिरेकब साजन घर … Read More

सृजन-गीत कब गायेगा | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

सृजन– गीत कब गायेगा | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ विश्व परिदृश्य का समसामयिक गीत सृजन – गीत कब गायेगा। कोई बता दे मानवता का ,परचम कब लहरायेगा,तहस-नहस को आतुर मानव,सृजन-गीत कब … Read More

आ जाओ गौरैया | डॉ सम्पूर्णानंद मिश्र

आ जाओ गौरैया | डॉ सम्पूर्णानंद मिश्र आ जाओ गौरैया आ जाओ गौरैया रानीफुदकती हुई मेरे छत परचीं चीं चूं चूं का स्वरमेरे सहन में बिखरा जाओतुम कैसी हो ?कहां … Read More

होली | तोमर छंद | बाबा कल्पनेश

होली | तोमर छंद | बाबा कल्पनेश होली विधा-तोमर छंद कर होलिका का दाह।कह कौन करता आह।।प्रह्लाद जपता राम।पाता जगत विश्राम।। तब ही मनाते सर्व।हर वर्ष होली पर्व।।रे मूढ़ मन … Read More

मीत बनायें होली में | होली सम्बन्धी दोहे | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

मीत बनायें होली में | होली सम्बन्धी दोहे | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ मीत बनायें होली में मनभावन रंग गुलाल,उड़े अब होली में,नित ऑचल नेह फुहार,पड़े अब होली में।सद्भाव विकास की,गंग-तरंग … Read More

नवल सृजन के अंकुर फूटें/ हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश

नवल सृजन के अंकुर फूटें शान्ति दूत बन काल-चक्र को,हमें नियंत्रित करना होगा ,रक्षा कातर मानवता की,सत्य-न्याय हित करना होगा। टेक। उजड़ा घर , वीरान शहर है,विश्वपटल पर मचा कहर … Read More

औरत पर कविता | Kalpana Awasthi New Kavita

औरत पर कविता | Kalpana Awasthi New Kavita किन किन निगाहों से वो दो-चार होती हैऔरत क्यों सारी उम्र अखबार होती हैकभी मां बनी, कभी बनी बहनकभी बेटी बनी कभी … Read More

इन्हीं आंखों ने देखा है | डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र

इन्हीं आंखों ने देखा है | डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र शिष्टजनक्याइन्हीं आंखों ने देखा है ?सारा मंज़रअपना छिनता हुआ बचपन‌‌ हां भाई देखा है‌‌ इन्हीं आंखों ने!‌ बाजार के गोलगप्पे जहां … Read More