‘सुनो स्त्री’ / रश्मि लहर
सुनो स्त्री!अपनी इच्छाओं के उत्पीड़न कीचोटिल ध्वनि कोवृद्ध होती काॅंपती सीअपनी उर्वरक ऑंखों की नमी कोस्वीकारोनव-विकसित चेतनाओं का साथमिला लो झुर्रीदार, थरथराते हाथों सेअपना मजबूत हाथबढ़ो स्त्री!स्नेहिल सादगी सेसॅंवारो अपनी … Read More