वह मात्र एक छलावा है | सम्पूर्णानंद मिश्र

वह मात्र एक छलावा है वैसे तोसुख की कोईपरिभाषा निश्चित नहीं है लेकिनअच्छी अनुभूति सुख का आधार हैऔर बुरी दु:ख का महात्मा बुद्ध ने कहाजीवन में दुःख ही दु:ख हैऔर … Read More

एक शिवाला | प्रतिभा इन्दु | हिंदी कविता

मेरे घर के भीतर आकरतुमने क्या से क्या कर डाला ,पहले था मेरा मन , मन साअब लगता है एक शिवाला ! सुबह – शाम घंटा , मन्त्रों सेध्वनि का … Read More

तुम बहुत ही याद आए | डॉ०भगवान प्रसाद उपाध्याय | हिंदी गीत

दर्द के बादल उमड़ करआंख में ऐसे समायेमौन व्याकुल इस हृदय मेंतुम बहुत ही याद आये प्यार का मकरंद घोलेजो विहंसता था यहाँरूप वह भोला सलोनाआज खोया है कहाँ दीप … Read More

पुनर्पाठ |सम्पूर्णानन्द मिश्र

पुनर्पाठ कलझुंड में कई कुत्ते दिखेमुझे सड़क परभौंक रहे थे सब आपस में एकदूसरे को काट रहे थे देखते ही दौड़ेझुंड के कुत्ते सभी मेरी तरफ़ किसी तरह भागते- भागतेजान … Read More

कटघरे में अदालत के |सम्पूर्णानन्द मिश्र

कटघरे में अदालत के अपशकुनमानी जाती हैंस्त्रियांअगर वैधव्यका काला धब्बाउनके माथे पर हो चूड़ियां तकतोड़वा दी जाती हैंदूर बैठायी जाती हैंधार्मिक और शुभक्रिया कर्मों के अवसर पर अपमान और जलालतकी … Read More

कितनी बार | सम्पूर्णानंद मिश्र

कितनी बार अब मुझे मत मारो राम!एक अपराध की सजाकितनी बार मैं अपराधी थामाना कि सीता कामिलनी चाहिए सजा मुझेलेकिनराम कितनी बार हर बार मैं मर रहा हूंघुट-घुटकर जी रहा … Read More

हमारी दास्तां है | रत्ना भदौरिया

बहुत सालों से बोलने और बताने की कोशिश कर रही हूं लेकिन ना कोई सुनता है और ना ही कहने देता है। दिमाग भी नहीं चला इतने सालों से लेकिन … Read More

विदाई लो श्रीमन् साभार आपका सरल मधुर व्यवहार | डॉ.रसिक किशोर सिंह नीरज

श्रीमान् आर.पी. सिंह (आई.ए.एस.) आयुक्त चित्रकूट धाम मण्डल बांदा (उ.प्र.) के निवृत्तमान होने पर नागरिक अभिनंदन भाव सुमन दिनांक 30 सितंबर 2023. विदाई लो श्रीमन् साभार आपका सरल मधुर व्यवहार। … Read More

अपने हिस्से का आकाश |सम्पूर्णानंद मिश्र

अपने हिस्से का आकाश ढोता हूं पूरी शिद्दत सेअपने हिस्से का आकाशताकिझरबेरी का पेड़उग सके मेरे आंगन में औरजिसका फलदे सके थोड़ी सी मुस्कान मेरे ओठों परताकि अब मुझे गिरवी … Read More

धूमिल याद आ गए |सम्पूर्णानंद मिश्र

धूमिल याद आ गए! मेरे समीपस्थ गांव केमेरे प्रिय कवि धूमिल यादआ गए आज याद आना लाजिमी थाक्योंकि पूरे देश ने उठाया थाएक तारीख़ कोएक घंटे श्रमदान करने की ज़िम्मेदारी … Read More