मणिपुर | Manipur Par Hindi Kavita | Manipur Hindi Poetry | हूबनाथ

मणिपुर | Manipur Par Hindi Kavita | Manipur Hindi Poetry राजसभाजब द्यूतसभा में बदल जाएतब शासनदु:शासनऔर प्रजा पांचाली हो जाती है धृतराष्ट्रजब राष्ट्र का पर्याय बन जाएतब अंधापन बन जाता … Read More

झूठी सबकी पीर | हिंदी भजन | नरेंद्र सिंह बघेल

झूठी सबकी पीर | हिंदी भजन | नरेंद्र सिंह बघेल झूठी सबकी पीर रे बंदे ,झूठी सबकी पीर रे !झूठी सबकी पीर ।।माया में तू क्यूँ भरमाया ,साथ न कोई … Read More

मेरी अंतिम यात्रा | वेदिका श्रीवास्तव

मेरी अंतिम यात्रा | वेदिका श्रीवास्तव हे! नाथ मेरे क्या चाहूं मैं बस दर्शन अपना दे देना,है आस मेरी जन्मों की ये चरणों में जगह तुम दे देना।। जब जाऊं … Read More

साहब जी | हिंदी कहानी | रत्ना भदौरिया

साहब जी | हिंदी कहानी | रत्ना भदौरिया मुझे दिल्ली से आये हुए आज पन्द्रह दिन हो गये थे, नौकरी से बार -बार फोन आने लगे थे लेकिन शरीर ने … Read More

साहित्यकार प्रतिभा पाण्डेय की कविता / प्रतिभा पाण्डेय

मुहब्बत कर ली तन्हा जीवन,ग़म की रातें,मीठी- मीठी,दूर कही थी बातें,किसी पर विश्वास ना रहापर एक खोज,चलता रहा————!!!!!!!??फिर एक रोज एक फरिश्ता आया,साथ में प्रेम की पूरी दुनिया लाया,एहसास की … Read More

मासूम मेरे दिल को,दुखाया न कीजिए। हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’हरीश

मासूम मेरे दिल को,दुखाया न कीजिए। यूॅ छोड़ करके तनहॉ,जाया न कीजिए,जलती हवन में हाथ,जलाया न कीजिए।1। हर सू भटक के पास,तुम्हारे ही आयेगा,आवारगी इस दिल की,भुलाया न कीजिए।2। इस … Read More

कब तक | पुष्पा श्रीवास्तव शैली

कब तक | पुष्पा श्रीवास्तव शैली कब तक? जल रहा है देश लेकिन मौन साधे,किस दिशा से बात करना चाहते हो।राख भी ठंडी हुई अब तो जले की,कौन सा दुख … Read More

मणिपुर के बाद बंगाल | सम्पूर्णानंद मिश्र

मणिपुर के बाद बंगाल | सम्पूर्णानंद मिश्र धृतराष्ट्रदेख नहीं सकता थाअंधा था और जो कुछ देखादूसरे की आंखों से दूसरे की आंखों सेदेखी और सुनी हुई बातेंसत्य से कोसों दूर … Read More

पिता | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ | पिता हिंदी कविता

जिसने हाथ पकड़ कर पग-पग,चलना मुझे सिखाया,प्रिय समाज के रिश्ते-नातों,से परिचय करवाया।टेक। नमन सदा उनके चरणों में,बारम्बार प्रणाम करूॅ,स्नेह,दया,करुणा,ममता का,दर्शन आठों याम करूॅ।धर्म-कर्म,सहयोग,त्याग का,पावन पथ दिखलाया।जिसने हाथ पकड़कर पग-पग,चलना मुझे … Read More

यह पूछ रहा मन मेरा /हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’हरीश’

यह पूछ रहा मन मेरा तुम जाओगी!कब आओगी?यह पूछ रहा मन मेरा,यादों की सौगात सहेजे,पुलक थिरकता तन मेरा।टेक। मनहर बातें सॉझ सुहानी,मीरा जैसी तुम दीवानी,बूॅद-बूॅद रस अधर टपकता-छलके कंचन तेरी … Read More

स्मृति शब्दाधारित रचना | मन्द-मन्द तेरी मुसकान /हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’ हरीश’

स्मृति शब्दाधारित रचना। मन्द-मन्द तेरी मुसकान स्मृति में चुपके से तेरा,वह घूॅघट पट सरकाना,पॉव दबा कर आते तेरे,पग-नूपुर का बज जाना।तृप्ति कहॉ मिल पाती बोलो,लुक-छिप प्रणय निवेदन में,मधु भरे हठीले … Read More

मुसाफिर’, शब्दाधारित रचना / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

‘मुसाफिर’, शब्दाधारित रचना मुसाफिर प्यार का बन कर,सफर आसान कर लेना,नहीं कुछ और जीवन में,सफल अभियान कर लेना।टेक। कदम तुमने बढ़ाये हैं,कहॉ मंजिल तुम्हारी है,सफल जो हो गया चलकर,उसी की … Read More

सरकार टमाटर बेंच रही /हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

सरकार टमाटर बेंच रही विपक्ष रोटियॉ सेंक रहा,सरकार टमाटर बेंच रही,दिल्ली मैं सड़कों पर नौका,भोली जनता सब देख रही।टेक। लाल किला में पानी है,पानी ने आफत ढ़ाई है,घर से बेघर … Read More

परवाह किसे है / शैलेन्द्र कुमार

परवाह किसे है /शैलेन्द्र कुमार मेरा स्वास्थ्य ठीक नहींहमेशा तनाव में रहता हूंँअकेला पड़ गया हूं मैंमर जाऊं, यही सोचता रहता हूंँ किंतु परवाह किसे है? परिवार ने जली-कटी सुनाईबीमारी … Read More

Motivational Hindi Poem| Motivational Kavita in Hindi

Motivational Hindi Poem| Motivational Kavita in Hindi जीना है तो मरना सीखो चमकना है सूरज सा तोउसके जैसा जलना सीखोकीमती बनना है सोने सा तोकुंदन सा तपना सीखोमहकना है फूलों … Read More