किस तरह मैं शाम की बातें लिखूँ अब / रश्मि लहर
किस तरह मैं शाम की बातें लिखूँ अब,मिट रहे श्मशान की यादें लिखूँ अब। रो पड़ा फौजी, बिलखते मौन संग,लाल मेंहदी सी बहीं रातें, लिखूँ अब। ओढ़ के चूनर, वो … Read More
किस तरह मैं शाम की बातें लिखूँ अब,मिट रहे श्मशान की यादें लिखूँ अब। रो पड़ा फौजी, बिलखते मौन संग,लाल मेंहदी सी बहीं रातें, लिखूँ अब। ओढ़ के चूनर, वो … Read More
लिख-लिख कर कोई बात / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ लिख-लिख कर कोई बात,मिटाया न कीजिए,धड़कन को मेरी जान ,बढ़ाया न कीजिए।1। यह दिल तुम्हारी चाह में,बरबाद हो गया-ख्वाहिशों की दौलत ,जलाया … Read More
उड़ान कोमल हाथों सेआकाश छूने कीचाह रखेवह मासूम दुनिया कीमक्कारी व षड्यंत्र की पाठशालासे अभी बिल्कुल अबोधथानहीं शिकार हुआ थावह अपनी हीपरछाईं कादिखाई दे रही थीजैसी यह सृष्टिउसी रूप में … Read More
भाषा ख़तरे में / सम्पूर्णानंद मिश्र आज के समय मेंख़तरे ही ख़तरे हैंइसलिएसाफ़ साफ़ मत बोलोकुछ मिलावट रक्खोअपनी भाषा मेंबिल्कुल खिचड़ी की तरहआज के समय मेंअपने शब्दों को यदिभाषा की … Read More
लेखक अभय प्रताप सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के ग्राम बेनीकोपा ( कबीर वैनी ) पोस्ट बेनीकामा में हुआ था । इनके पिता का नाम हरिगेंद्र सिंह … Read More
फ्रैक्चर / सम्पूर्णानंद मिश्र जब विश्वास का पैरफ्रैक्चर होता हैतो नहीं ठीक होता है जल्दीबहुत समय लगता हैइसको फिर से खड़ा होने मेंक्योंकिजब यह खड़ा होता हैधीमी चालचलता हैतोअविश्वास के … Read More
मैंने उसको ढूंढ लिया है उसको मैंने ढूंढ लिया है,जिसको ढूंढ लिया है मैंने,वह सबको नहीं मिलने वाला,अभी बचपन है,उछल कूद है और जवानी भी रंगीन,पैरों नीचे नहीं जमीन,आसमान पर … Read More
विभीषिका मज़हब का नशाजब ख़ून में उतर जाता हैतो इंसानख़तरनाक हो जाता हैकई हिस्सों मेंवह बंट जाता हैबंटा था 1947 मेंहमारा देश भीमज़हब के नाम पर हीमज़हब ज़हर हैजानलेवा हैऔर … Read More
मत ढूंढ़ों मुझे / सम्पूर्णानंद मिश्र नहीं हूं वहां मैंजहां ढूंढ़ा जा रहा है मुझेथा कभी वहां मैंउस दालान मेंबूढ़े बाबा के पासजहां इंसान पनही से नहींअपने आचरण से जोखा … Read More
पतझड़ जीवन-उपवन में पतझड़ ने,उलट फेर कर डाला,लुटे-लुटाये डाल-पात पर,मधुरस किसने डाला।टेक। बहॅकी-बहॅकी पवन नवेली,सुरभि लुटाती बनीं पहेली।मनहर तरुवर नग्न निरखते,कैसे मचले पवन बघेली।सुकुमार तड़पती कलिका को,क्यों बदरंग कर डाला।जीवन-उपवन … Read More
Rashmi lehar ki kavita hindi mein | मेरे मन के छज्जे पर मेरे मन के छज्जे परवो..कोहनियों के बल चेहरा टिकाएऑंखों में उम्मीद सजाएनिहारता मिला!ना कोई शिकवा..ना गिला!तुम्हारा.. होना अच्छा … Read More