श्रवण कुमार पाण्डेय | हिंदी कविता | नयी कविता
श्रवण कुमार पाण्डेय | हिंदी कविता | नयी कविता आज काल का मनई अरे रे रे,,,,आज काल का मनई ,,, पता नाय काहे येत्ता जहरीला होत है भईय्या,, एक रात,,ई … Read More
श्रवण कुमार पाण्डेय | हिंदी कविता | नयी कविता आज काल का मनई अरे रे रे,,,,आज काल का मनई ,,, पता नाय काहे येत्ता जहरीला होत है भईय्या,, एक रात,,ई … Read More
घेर रहे संकट के बादल / बाबा कल्पनेश घेर रहे संकट के बादल,फिर से चारो ओर।शीश कतर देने की घटना,का कितना है शोर।। सुनकर रुदन पड़ोसी जन की,करना मत आवाज।गलाकाट … Read More
मैं जाना चाहती थीमैं जाना चाहती थीतुमसे दूर , बहुत दूरकी तुम्हारा दिया कुछ भी अब बोझ लगने लगा था, वो आखिरी आलिंगनवो आंसुओ के आखिरी चुम्बनजो आज भी ओस … Read More
सफर निकले हैं सफर पे तो रुकना भी ज़रूरी है ,मिलेंगे कई चेहरों से ,मिलना भी ज़रूरी है | साथ दे हर मुसाफिर,हर मुसाफिर का यहाँ कैसे !मंजिल अलग है … Read More
मेरा मैं / आशा शैली कभी-कभी मन करता हैचलो कुछ बड़ी पापड़ बना लूँ कुछ अचार डाल लूँखट्टा-मीठाया कुछ कपड़े ही सी लूँबहुत हो गयालिखना-पढ़नाकविताओं-कहानियों को गढ़ना थोड़ी देर के … Read More
सुखद दिन / डॉ०सम्पूर्णानंद मिश्र वे दिन कितने सुखद थेस्वच्छता अभियान परन खर्चा न चर्चाविद्यालय पहुंचने परसाफ-सफाई करकेजमीन परबोरी बिछाते थेगुरुकुल परंपरा मेंपढ़ने बैठ जाते थेगुरु का आदेश शिरोधार्य थापूरी … Read More
अब जाकर आराम मिला है / पुष्पा श्रीवास्तव शैली अब जाकर आराम मिला है। बादल लिखना,काजल लिखनाकोई अर्थ कहाॅं होता है।जब तक लिखा न जाए ऑंसू,कोई मर्म कहाॅं होता है।लिखा … Read More
बंद है बात / सम्पूर्णानंद मिश्र कई वर्षों सेबंद है बातधरती और आकाश कीदोनों तने हैंखंज़र दोनों केख़ून से सने हैंनहीं झुकना चाहता हैमुट्ठी भर कोई भीस्वीकार नहीं हैअपनी लघुता … Read More
हुआ जीवन बेहालतपती इस गर्मी सेजल रही धरतीजल रहा आकाशतपती इस गर्मी सेजल रही है युवाओं की आशाबेरोज़गारी की आग मेंकोई बताए जाएं किस राहजब जल गई हो सारी चाहतपती … Read More
शहर भी कभी गांव था।आंखों में पवित्रता दिल में प्रेम भरा हाव भाव था।शहर में रह कर गुमान मत कर शहर भी कभी गांव था। हर जगह इंसानियत ही इंसानियत … Read More
पवन धीरे धीरे बहे पवन।झूमे धरती नील गगन। कलियों की लोगंध उड़ीधूप लगाये पीठ छड़ीधरती नीचे कील गड़ी, महके खण्डहर , उच्च भवन।धीरे धीरे बहा पवन। अमवा चढ़ कोयल बोलेवापी … Read More
तनहाई / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ तनहाई में शीशे जैसा,दिल नहीं टूटने वाला। तनहाई में याद तुम्हारी , मेरा साथ निभा जाती है,तुम भी पूछो तनहाई से,कैसे क्या बतला जाती है।1। … Read More
आंसू भर रोए…………….. जितना ही खो कर पाया हैउतना ही पाकर खो डाला !दरवाजे पर हंस लेते हैंआंगन में आंसू भर रोए ! आवाजें जो बंद कैद मेंपुनः लौटकर आ … Read More
आशा शैली की ग़ज़ल ख्वाब में जो है मिला, सुब्ह बिखरने वालाबाग उम्मीद का देखा न संवरने वाला उसकी बातों का मैं किस तरह भरोसा कर लूँवो जो कर करके … Read More