मुक्तक होली पर | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’
मुक्तक–होली पर छल-छद्म-द्वेष-पाखण्ड त्याग,निर्मल उर कर,मधुरस बोली,स्नेह-दया-ममता का तिरंगा,रंग-उमंगित वीर की टोली।वन्दनीय शुचि पर्व होलिका,चर-अचर जगत आनन्दित हो-,धन्य थरा भारत की अपनी,आओ मिल-जुल खेलें होली। होली की अशेष स्नेहिल कामनाओं … Read More