मुक्तक होली पर | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

मुक्तक–होली पर छल-छद्म-द्वेष-पाखण्ड त्याग,निर्मल उर कर,मधुरस बोली,स्नेह-दया-ममता का तिरंगा,रंग-उमंगित वीर की टोली।वन्दनीय शुचि पर्व होलिका,चर-अचर जगत आनन्दित हो-,धन्य थरा भारत की अपनी,आओ मिल-जुल खेलें होली। होली की अशेष स्नेहिल कामनाओं … Read More

फागुनी रंग में रंगा प्रेरणा का एक होली गीत | नरेंद्र सिंह बघेल

फागुनी रंग में रंगा प्रेरणा का एक होली गीत ।!!!!!!!!! रंग लगाएं होली में !!!!!!!!!आओ हम सब मिलजुल कर ,त्यौहार मनाएं होली में ।प्रेम-स्नेह औ मर्यादा के ,रंग लगाएं होली … Read More

होली पर मुक्तक |राजेन्द्र वर्मा ‘राज’

प्रेम रंगों का अद्भुत ये त्योहार है,है खुशी हर जगह दिल में भी प्यार है।सारे रंगों की मानिंद मिलकर रहें ,सीख देने को आया ये त्यौहार है।। – राजेन्द्र वर्मा … Read More

होली गीत : लाल हरा रंग नीला पीला,लेकर आई होली |दुर्गा शंकर वर्मा ‘दुर्गेश’

होली गीत लाल हरा रंग नीला पीला,लेकर आई होली।होली गीत सुनाती आई,फगुहारों की टोली।ढोल,मंजीरा,झांझ लिए,सब होली गीत सुनावें।सुंदर-सुंदर गीत सभी के,मन को खूब लुभावें।सब के सब मस्ती में डूबे,छाने भांग … Read More

ऑचल बहॅक रहा | नींद नयन ना आई | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

माहिया/टप्पा छन्द1.ऑचल बहॅक रहा देखो आग लगी है,चहुॅदिशि पवन बहे,कोंपल मुकुल जगी है।1। पवन बहे सुखदाई,ऑचल बहॅक रहा,नयन रहे अकुलाई।2। नव विकास की राहें,नित त्याग मॉगतीं,खुशी भरी हों बॉहें।3। तुमको … Read More

बूढ़े बाबा | सम्पूर्णानंद मिश्र

बूढ़े बाबा नहीं हूं वहां मैंजहां ढूंढ़ा जा रहा है मुझे था कभी वहां मैंउस दालान मेंबूढ़े बाबा के पासजहां इंसान पनही से नहींअपने आचरण से जोखा जाता था जहां … Read More

‘इस बार फागुन में’ | रश्मि ‘लहर’

‘इस बार फागुन में’ खिला टेसू, पलक भीगी ,सखी! इस बार कानन में।चुनरिया भी बुलाती है;मिलो इस बार फागुन में।। हुए किसलय ये प्यासे हैं,कपोलों को तनिक देखो!कली गाने लगी … Read More

पीर  तन्हा  है  और  जवां तन्हा | आर.सी. वर्मा ‘साहिल’

पीर  तन्हा  है  और  जवां तन्हा | आर.सी. वर्मा ‘साहिल’ पीर  तन्हा  है  और  जवां तन्हाहर  बशर  तन्हा, है  जहां तन्हा गोद  में   चाँद   तारे    हैं   चाहेफिर भी लगता है … Read More