बहुरूपिया समाज /सम्पूर्णानंद मिश्र

बहुरूपिया समाज /सम्पूर्णानंद मिश्र बहुरूपिया समाज अपशकुनमानी जाती हैंस्त्रियांअगर वैधव्यका काला धब्बाउनके माथे पर होचूड़ियां तकतोड़वा दी जाती हैंदूर बैठायी जाती हैंधार्मिक और शुभक्रिया कर्मों के अवसर परअपमान और जलालतकी … Read More

पत्र की व्यथा/ सम्पूर्णानंद मिश्र

पत्र की व्यथा/ सम्पूर्णानंद मिश्र पत्र अपनी व्यथासुना रहा थाअतीत के सुखद दिनकी गाथा गा रहा थालोग दिल की बात पत्रपर लिख जाते थेप्यार की बातें कह जाते थेमहीनों पोस्टआफिसके … Read More

मृत्यु के बाद / सम्पूर्णानंद मिश्र

मृत्यु के बाद / सम्पूर्णानंद मिश्र लेकर जाती हैऔरत अपनी मृत्यु के बादघर की समृद्धिबच्चों का बचपनबेटियों का अल्हड़पनघर की दीवारों‌ की मुस्कुराहटचौखट की गोपनीयताखिड़कियों की रौशनीचूल्हे- चौकों की मर्यादाआंगन … Read More

पुष्पा श्रीवास्तव शैली की कविता | बौने स्वप्न | बुझता है दीप अंबे ज्ञान का प्रखर देखो

पुष्पा श्रीवास्तव शैली की कविता | बौने स्वप्न | बुझता है दीप अंबे ज्ञान का प्रखर देखो बौने स्वप्न हमने बोए कुछ स्वप्न,कुछ उगे,बढ़ेऔर कुछ बौने रह गए।बौने रह गए … Read More