परख / सम्पूर्णानन्द मिश्र
परख किस पायदानपर खड़े हैंमूल्यांकन हो इसकाक्योंकि फूलों कापायदानपहुंचा तो सकता है शीर्ष परलेकिन टिका नहीं सकतादेर तक हमें वहांहो सकता हैख़तरनाकएवं जानलेवाजिस पायदान परमुसीबतों का शूल होरखो धीरे- धीरे … Read More
परख किस पायदानपर खड़े हैंमूल्यांकन हो इसकाक्योंकि फूलों कापायदानपहुंचा तो सकता है शीर्ष परलेकिन टिका नहीं सकतादेर तक हमें वहांहो सकता हैख़तरनाकएवं जानलेवाजिस पायदान परमुसीबतों का शूल होरखो धीरे- धीरे … Read More
मुझको ही छलते आये। आज की कविता दे-दे करके मुझे नसीहत,मुझको ही छलते आये,नहीं किसी ने राह दिखायी,जिस पर हम चलते आये।टेक। धूप-छॉव सब सहती माटी,नहीं कभी कुछ कहती माटी,ऋतुओं … Read More
होली | तोमर छंद | बाबा कल्पनेश होली विधा-तोमर छंद कर होलिका का दाह।कह कौन करता आह।।प्रह्लाद जपता राम।पाता जगत विश्राम।। तब ही मनाते सर्व।हर वर्ष होली पर्व।।रे मूढ़ मन … Read More
युद्ध छंटे नहीं हैंयुद्ध के पर्जन्य अभीविनाश के अवशेषछटपटा रहे हैंहथियारों के गर्भ सेप्रसूत होने के लिएअधिनायकवादी और जनतांत्रिक विचारधाराओं केबीच चल रहा है यह युद्धनहीं स्वीकार हैऊंचा हो कोई … Read More
शान्ति का मसीहा बीत जाएंगे हजारों वर्ष- लेकिन,याद हॄदय से भुलाई जाएगी ना ही कभी।आएंगे स्मरण जब जीवन के अंतिम क्षण ,आँसू बहाएंगे कोटि नर- नारी सभी।। लेखनी लिखती रहेंगी … Read More