आवाहन गीत | एक बार फिर आओ राम | राजेन्द्र वर्मा’ राज ‘

आवाहन गीतएक बार फिर आओ रामकनक भवन सूना लगता है सूनी गलियाँ चौबारे।सूनी है जानकी रसोई, गुमसुम हैं ड्योढ़ी- द्वारे।।पशु – पक्षी सब टेर रहे हैं, व्याकुल हैं सब नर … Read More

” एक बार फिर आओ राम” | आवाहन गीत | राजेन्द्र वर्मा “राज”

हे !इस जग के तारणहार, जन- जन का है तुम्हें प्रणाम।आकर पावन करो धरा को ,आलोकित कर दो हर धाम।।एक बार फिर आओ राम । राह तुम्हारी देख रही हैं … Read More

युवा हैं हम | प्रतिभा पाण्डेय”प्रति” | Hindi Diwas par Nayi Kavita

युवा हैं हम हम युवा हिन्दी से हिन्दुस्तान का गौरव बढायेंगे,तन मन धन से निजभाषा उन्नति का नारा लगायेंगे | अभिनंदन संस्कृति का, अभिलाषा जन-गण-मन गाते रहें,हिन्दी से हिन्दुस्तान का … Read More

राखी | दुर्गा शंकर वर्मा ‘दुर्गेश’

राखी बहना राखी लेकर आई,बहना राखी लेकर आई।भाई के घर जब भी आई,खुश होकर मुस्काई।माथे रोली तिलक लगाये,भाई राखी को बंधवाये।अपने मन में खुश हो करके,गीत खुशी के हरदम गाये।भइया … Read More

मौत | हिंदी कहानी | सम्पूर्णानंद मिश्र

मौत | हिंदी कहानी | सम्पूर्णानंद मिश्र बनारस उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी है। यहां सुबह तीन बजे से घाटों पर संतों की आवाजाही होने लगती है। मंदिरों में घण्टियां … Read More

सपनों में मॉ तुम ही तुम हो /हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’हरीश’

सपनों में मॉ तुम ही तुम हो। धक-धक चलती सॉस मेरी तुम,रोम-रोम में तुम ही तुम हो,अधरों की मुसकान तुम्हीं से-सपनों में मॉ तुम ही तुम हो।टेक। तुमसे जीवन-जगत बना … Read More

प्यारी मां / दुर्गा शंकर वर्मा ‘दुर्गेश’

प्यारी मां पल-पल याद तुम्हारी आए,मेरी प्यारी-प्यारी मां।तुझको भुलाऊं भूल ना पाऊं,मेरी प्यारी-प्यारी मां।भूख लगे जब दौड़ के आती,दूध-भात भी साथ में लाती।अपनी गोदी में बैठाकर,अपनें हाथों मुझे खिलाती।जब भी … Read More

परख / सम्पूर्णानन्द मिश्र

परख किस पायदानपर खड़े हैंमूल्यांकन हो इसकाक्योंकि फूलों कापायदानपहुंचा तो सकता है शीर्ष परलेकिन टिका नहीं सकतादेर तक हमें वहांहो सकता हैख़तरनाकएवं जानलेवाजिस पायदान परमुसीबतों का शूल होरखो धीरे- धीरे … Read More

मुझको ही छलते आये। आज की कविता

मुझको ही छलते आये। आज की कविता दे-दे करके मुझे नसीहत,मुझको ही छलते आये,नहीं किसी ने राह दिखायी,जिस पर हम चलते आये।टेक। धूप-छॉव सब सहती माटी,नहीं कभी कुछ कहती माटी,ऋतुओं … Read More

होली | तोमर छंद | बाबा कल्पनेश

होली | तोमर छंद | बाबा कल्पनेश होली विधा-तोमर छंद कर होलिका का दाह।कह कौन करता आह।।प्रह्लाद जपता राम।पाता जगत विश्राम।। तब ही मनाते सर्व।हर वर्ष होली पर्व।।रे मूढ़ मन … Read More

युद्ध | Yudh par kavita

युद्ध छंटे नहीं हैंयुद्ध के पर्जन्य अभीविनाश के अवशेषछटपटा रहे हैंहथियारों के गर्भ सेप्रसूत होने के लिएअधिनायकवादी और जनतांत्रिक विचारधाराओं केबीच चल रहा है यह युद्धनहीं स्वीकार हैऊंचा हो कोई … Read More

शान्ति का मसीहा / सीताराम चौहान पथिक

शान्ति का मसीहा बीत जाएंगे हजारों वर्ष- लेकिन,याद हॄदय से भुलाई जाएगी ना ही कभी।आएंगे स्मरण जब जीवन के अंतिम क्षण ,आँसू बहाएंगे कोटि नर- नारी सभी।। लेखनी लिखती रहेंगी … Read More