बादल रूठ गये | नरेंद्र सिंह बघेल
मौसम की आपाधापी में ,रिश्ते सूख गये ।बादल रूठ गये रे भैय्या ,बादल रूठ गये ।।आज अधूरे सपनों से ,बाराती छूट गये ।बादल रूठ गये रे भैय्या ,बादल रूठ गये … Read More
मौसम की आपाधापी में ,रिश्ते सूख गये ।बादल रूठ गये रे भैय्या ,बादल रूठ गये ।।आज अधूरे सपनों से ,बाराती छूट गये ।बादल रूठ गये रे भैय्या ,बादल रूठ गये … Read More
आवाहन गीतएक बार फिर आओ रामकनक भवन सूना लगता है सूनी गलियाँ चौबारे।सूनी है जानकी रसोई, गुमसुम हैं ड्योढ़ी- द्वारे।।पशु – पक्षी सब टेर रहे हैं, व्याकुल हैं सब नर … Read More
हे !इस जग के तारणहार, जन- जन का है तुम्हें प्रणाम।आकर पावन करो धरा को ,आलोकित कर दो हर धाम।।एक बार फिर आओ राम । राह तुम्हारी देख रही हैं … Read More
युवा हैं हम हम युवा हिन्दी से हिन्दुस्तान का गौरव बढायेंगे,तन मन धन से निजभाषा उन्नति का नारा लगायेंगे | अभिनंदन संस्कृति का, अभिलाषा जन-गण-मन गाते रहें,हिन्दी से हिन्दुस्तान का … Read More
राखी बहना राखी लेकर आई,बहना राखी लेकर आई।भाई के घर जब भी आई,खुश होकर मुस्काई।माथे रोली तिलक लगाये,भाई राखी को बंधवाये।अपने मन में खुश हो करके,गीत खुशी के हरदम गाये।भइया … Read More
मौत | हिंदी कहानी | सम्पूर्णानंद मिश्र बनारस उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी है। यहां सुबह तीन बजे से घाटों पर संतों की आवाजाही होने लगती है। मंदिरों में घण्टियां … Read More
सपनों में मॉ तुम ही तुम हो। धक-धक चलती सॉस मेरी तुम,रोम-रोम में तुम ही तुम हो,अधरों की मुसकान तुम्हीं से-सपनों में मॉ तुम ही तुम हो।टेक। तुमसे जीवन-जगत बना … Read More
प्यारी मां पल-पल याद तुम्हारी आए,मेरी प्यारी-प्यारी मां।तुझको भुलाऊं भूल ना पाऊं,मेरी प्यारी-प्यारी मां।भूख लगे जब दौड़ के आती,दूध-भात भी साथ में लाती।अपनी गोदी में बैठाकर,अपनें हाथों मुझे खिलाती।जब भी … Read More
परख किस पायदानपर खड़े हैंमूल्यांकन हो इसकाक्योंकि फूलों कापायदानपहुंचा तो सकता है शीर्ष परलेकिन टिका नहीं सकतादेर तक हमें वहांहो सकता हैख़तरनाकएवं जानलेवाजिस पायदान परमुसीबतों का शूल होरखो धीरे- धीरे … Read More
मुझको ही छलते आये। आज की कविता दे-दे करके मुझे नसीहत,मुझको ही छलते आये,नहीं किसी ने राह दिखायी,जिस पर हम चलते आये।टेक। धूप-छॉव सब सहती माटी,नहीं कभी कुछ कहती माटी,ऋतुओं … Read More
होली | तोमर छंद | बाबा कल्पनेश होली विधा-तोमर छंद कर होलिका का दाह।कह कौन करता आह।।प्रह्लाद जपता राम।पाता जगत विश्राम।। तब ही मनाते सर्व।हर वर्ष होली पर्व।।रे मूढ़ मन … Read More
युद्ध छंटे नहीं हैंयुद्ध के पर्जन्य अभीविनाश के अवशेषछटपटा रहे हैंहथियारों के गर्भ सेप्रसूत होने के लिएअधिनायकवादी और जनतांत्रिक विचारधाराओं केबीच चल रहा है यह युद्धनहीं स्वीकार हैऊंचा हो कोई … Read More
शान्ति का मसीहा बीत जाएंगे हजारों वर्ष- लेकिन,याद हॄदय से भुलाई जाएगी ना ही कभी।आएंगे स्मरण जब जीवन के अंतिम क्षण ,आँसू बहाएंगे कोटि नर- नारी सभी।। लेखनी लिखती रहेंगी … Read More