अपने हिस्से का आकाश |सम्पूर्णानंद मिश्र
अपने हिस्से का आकाश ढोता हूं पूरी शिद्दत सेअपने हिस्से का आकाशताकिझरबेरी का पेड़उग सके मेरे आंगन में औरजिसका फलदे सके थोड़ी सी मुस्कान मेरे ओठों परताकि अब मुझे गिरवी … Read More
अपने हिस्से का आकाश ढोता हूं पूरी शिद्दत सेअपने हिस्से का आकाशताकिझरबेरी का पेड़उग सके मेरे आंगन में औरजिसका फलदे सके थोड़ी सी मुस्कान मेरे ओठों परताकि अब मुझे गिरवी … Read More
हिंदी से पहचान हमारी,मगन करे नभ गान।भारत माता के पुत्रों को,हिंदी है वरदान।।अँग्रेजों अब भारत छोड़ो,हिंदी की ललकार।थर्राए थे गोरे सुनकर,समझ गए निज हार।। था अगस्त अड़तालिस का वह,गए राष्ट्र … Read More
मणिपुर के बाद बंगाल | सम्पूर्णानंद मिश्र धृतराष्ट्रदेख नहीं सकता थाअंधा था और जो कुछ देखादूसरे की आंखों से दूसरे की आंखों सेदेखी और सुनी हुई बातेंसत्य से कोसों दूर … Read More
लजाई प्रीत / पुष्पा श्रीवास्तव “शैली” दीप जगमग हुआ प्रीति ने मन हुआ।गागरी भर उतरने लगी चांदनी।मन से मन जब मिला,तम लजाकर कर गिरा,लाज की ओढ़नी फिर पड़ी बांधनी जब … Read More
प्रेम पत्र /शैलेन्द्र कुमार प्रेम पत्रतुम्हे लिखूं कैसे?कैसे व्यक्त करूंह्रदय के भाव तुमसे। संकोच में रूठ गए शब्द सारेदुविधा में बीत गए मौसम सारे।अजीब दशा है, खुशी भी, डर भीलिखने … Read More
आइसक्रीम | रत्ना भदौरिया | लघुकथा चाय- चाय कभी ढंग की चाय बना दिया करो। कभी चाय पत्ती ज्यादा तो कभी दूध और पानी। कभी इतना पका देंगी की पीते … Read More
मौत | हिंदी कहानी | सम्पूर्णानंद मिश्र बनारस उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी है। यहां सुबह तीन बजे से घाटों पर संतों की आवाजाही होने लगती है। मंदिरों में घण्टियां … Read More
व्यथित मन | पुष्पा श्रीवास्तव शैली | हिंदी कविता व्यथित हूंकुछ सीवन सी टूटती जा रही।या कुछ सीलन के प्लास्टरजैसा झड़ता ही जा रहाकभी भी खतम न होने वाला। आज … Read More
१. आज कर लो जो है करना,जिंदगी का नहीं ठिकाना।कब साथ छोड़ के पड़ जाए,दुनिया से हमको जाना।हर पल शौख से जीना,रहना कभी न तन्हा,गम हो या खुशी हो हर … Read More
महक रही यह फूल की घाटी महक रही यह फूल की घाटी,चन्दन-वात लुटाता है,स्नेहापूरित कण-कण जिसका,भारत देश कहाता है।टेक। शस्य-श्यामला सुफला धरती,खनिजों के भण्डार भरे,मलय सुहावन सुरभि लुटाती,कण-कण नव ऋंगार … Read More
पीड़ा सदियों सेप्रतिस्थापितपत्थरधर्मस्थलों मेंखोखले लिबासओढ़े- ओढ़ेबिल्कुल थक से गए और अपने साथ हुएअन्याय के ख़िलाफ़पूरी प्रतिबद्धता से खड़े हो गए उनके साथ हुएशोषण का रक्तउनकी आंखों सेनिरंतर टपक रहा है … Read More
पतली पगडंडी | Hindi Kavita | पुष्पा श्रीवास्तव शैली उस पतली पगडंडी पर तुम कैसेकैसे दौड़ा करते थे।कच्ची अमिया के गुच्छे कोकैसे तोड़ा करते थे। बहुत बार हम गिरे साथ … Read More
छोटी सी गौरैया छोटी सी होती गौरैया,झुंड में आ जातीं गौरैया।आंगन में फिर फुदक-फुदक कर,सबका मन भातीं गौरैया।चूं-चूं चीं-चीं वे हैं करती,अपनीं भाषा में कुछ कहतीं।दानें चुगनें झट आ जातीं,अपना … Read More
हिन्दू नव वर्ष पर कविता 2023 – Hindu New Year Poem in Hindi – हिन्दू नव वर्ष पोएम इन हिंदी – Hindu Nav Varsh Kavita Hindi me नववर्ष विथा-तोटक छंद112 … Read More
नूतन वर्ष मनायें | Hindu New Year Poetry | Hindi Kavita आया पावन पर्व हमारा,नूतन वर्ष मनायें,चलें साथ सब नव विकास पथ,सुख-समृद्धि घर लायें।टेक। फसलें झूम रहीं खेतों में ,अनुपम … Read More