Bharat Mera Desh | भारत – मेरा देश
Bharat Mera Desh | भारत – मेरा देश भारत – मेरा देश भारत मेरा देश है, मेरे जीवन का सार । भगवन मेरे देश को , देना शक्ति अपार । … Read More
Bharat Mera Desh | भारत – मेरा देश भारत – मेरा देश भारत मेरा देश है, मेरे जीवन का सार । भगवन मेरे देश को , देना शक्ति अपार । … Read More
Mujhe Pata Hai / मुझे पता है – रश्मि संजय श्रीवास्तव मुझे पता है मुझे पता है .. तुम्हे अच्छा लगता है.. मेरा अपलक तुम्हे निहारते रहना! कनखियों से देखना, … Read More
कौन हैं ? कौन हैं ये लोग ? जो सिर झुकाए खड़े हैं रोज आते हैं और रोज चले जाते हैं जो सिर्फ़ देख सकते हैं न सुन सकते हैं … Read More
Ishk- Khudaee | इश्क- खुदाई / सीताराम चौहान पथिक इश्क- खुदाई । क्या क्या है मेरे दिल में , तुम्हें कह नहीं सकता । दिल पर जो गुजरती है … Read More
Kampit Chhataree – कंपित छतरी / रश्मि संजय श्रीवास्तव कंपित छतरी मन को असंख्य संभावनाएं.. और..प्रेम को नवीन कल्पनाएं दे जाती है, तेज बारिश में साथ निभाती हुई.. कंपित छतरी! … Read More
Parakh – परख – सम्पूर्णानन्द मिश्र परख किस पायदान पर खड़े हैं मूल्यांकन हो इसका क्योंकि फूलों का पायदान पहुंचा तो सकता है शीर्ष पर लेकिन टिका नहीं सकता देर … Read More
Short Poem on Guru Purnima in Hindi | आदर्श शिष्य आरुणि गुरु जी के प्रति शिष्य के भाव- सुमन । गुरु वर श्रद्धेय हमें तुमने , अपनी छाया में पाला … Read More
Guru Purnima Par Kavita – गुरु पूर्णिमा पर कविता आषाढ़ ऋतु की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। इस दिन शिष्य अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता ′को व्यक्त करते … Read More
Parivaar Aur Ghar | परिवार और घर | ज़िन्दगी का सच परिवार और घर जीवन बड़ा है , दुखों का घड़ा है , ढालिए प्यार से , इसमें मोती जड़ा … Read More
Chuppiyaan | चुप्पियां – सम्पूर्णानन्द मिश्र चुप्पियां टूटनी चाहिए चुप्पियां वक़्त पर ताकि जल न जाय झूठ की आंच पर सत्य की रोटी मानाकि चुकानी पड़ती है एक बहुत कीमत … Read More
रश्मि लहर की कविताये | Poems of Rashmi Lehar ना वो महकी हुई नदियाँ बहुत बेबस हुआ जीवन, बची केवल हैं कुछ सदियाँ! दरख्त हैं वो ना वो शाखें, ना … Read More
बृजेंद्र गति छंद | प्रभु राम – बाबा कल्पनेश बृजेंद्र गति छंद पाथेय से हर रोग टूटे खोना नहीं,तुम धैर्य साथी,साधना करना। पाथेय से,हर रोग टूटे,मत कभी डरना।। उस ईश … Read More
विरह गीत – दुर्गा शंकर वर्मा “दुर्गेश” | virah geet प्रस्तुत गीत वरिष्ठ गीतकार दुर्गा शंकर वर्मा “दुर्गेश” के द्वारा स्वरचित रचना विरह गीत में प्रेमी और प्रेमिका के भाव … Read More
सरकारी उदासीनता, बढ़ता भ्रष्टाचार | Sarkari Udaaseenata, Badhata Bhrashtaachaar सरकारी उदासीनता, बढ़ता भ्रष्टाचार । पछत्तर वर्ष स्वाधीनता, मिटा ना भ्रष्टाचार । इकडम तिकड़म लगा के, करते बंटाधार ।। अकथ गरीबी … Read More
श्यामू से श्यामलाल/ सम्पूर्णानन्द मिश्र | Shyamu Se Shyamlal श्यामू से श्यामलाल नहीं लगता मुझे तुम एक आदमी हो! क्योंकि सभ्यता की तुम्हारी कमीज़ राजधानी की खूंटियों पर अब भी … Read More