कवि मन की व्यथा | डाॅ बी के वर्मा ‘शैदी’
कवि मन की व्यथालिखिबे कूँ अब कवित्त, होत नायं तनिक चित्त,लिखें कौन के निमित्त? नाक-भौं सिकोरी है।श्रोता मिल सकत नायं, काहू पै बखत नायं,बैठिबे कौ ठौर काँयं? टाट है न … Read More
कवि मन की व्यथालिखिबे कूँ अब कवित्त, होत नायं तनिक चित्त,लिखें कौन के निमित्त? नाक-भौं सिकोरी है।श्रोता मिल सकत नायं, काहू पै बखत नायं,बैठिबे कौ ठौर काँयं? टाट है न … Read More
तुम चलो पिय साथ मेरे , प्रेम से पथ को बुहारो । मैं तुम्हारे संग चल , हर हार को भी जीत लूंगी ।। तुम प्रणय की राह में चल … Read More
नियंत्रण होनाचाहिए क्रोध पर क्रोध की कोख सेमूढ़ता जन्मती है मूढ़ता तब तक शांत नहीं होती हैजब तक बुद्धि नाश न हो जाय और बुद्धिनाश सेमनुष्य अपने स्थान से च्युत … Read More
मॉ की याद बहुत आती है,आकर मुझे रुला जाती है। तब तो इतना ज्ञान नहीं था,शर्म नहीं अभिमान नहीं था।सूखे – गीले जैसे भी थे,मैं कोई भगवान नहीं था।बड़े चाव … Read More
दुर्मिल सवैया विधान-112×8 हनुमान कृपा कर कष्ट हरो , लकवा मन में अति पीर भरे।असहाय दुखी दिन दून हुआ , लख लें दृग में अति नीर भरे।।तुमसे बलवान नहीं जग … Read More
इन अधरों की प्यास कभी,तुमने प्रियवर समझा होता।मृदुल तुम्हारी अलकों में,मेरा हाथ महकता होता।टेक। मन का भॅवरा खो जाता,बलखाती तेरी ऑखों में।कदम भटकते ही रहते,नित निर्जन सूनी राहों में।सॅझवाती का … Read More
श्रम- स्वेद-कण से वह नहाता।सब धूप-छॉव भी सह जाता।।निज की इच्छा नहीं बताता।हॅस कर सबका भार उठाता। धन्य मनुज मजदूर कहाता।मस्त मुदित मन साथ निभाता।।सदा सृजन रत उनको देखा।लुप्त हाथ … Read More
पहली बार दिल्ली आने का खास कारण था उससे पहले दिल्ली क्या? घर से पच्चास किमी का भी सफल नहीं तय किया था दिल्ली तो साढ़े पांच सौ किलोमीटर था … Read More
स्वाधीनता आंदोलन के गदर में भारत की आजादी के लिए हजारों वीर जीवन कुर्बान हो गये। अनगिनत अमर शहीदों का वंश तक समाप्त हो गया। वो वीर सपूत या तो … Read More
बजी दुन्दुभी फिर चुनाव की,मतदाता जागो।संविधान सम्मत अपना तुम,सारा हक मॉगो।टेक। राजनीति के सफल खिलाड़ी,ऑसू भी घड़ियाली हैं,खद्दर पहन बने छैला ये,बॉट रहे हरियाली हैं।नहीं तुम्हारी चिन्ता इनको,सीमा तुम लॉघो।बजी … Read More