क्रोधाद्भवति सम्मोह: | सम्पूर्णानंद मिश्र

नियंत्रण होनाचाहिए क्रोध पर क्रोध की कोख सेमूढ़ता जन्मती है मूढ़ता तब तक शांत नहीं होती हैजब तक बुद्धि नाश न हो जाय और बुद्धिनाश सेमनुष्य अपने स्थान से च्युत … Read More

मॉ की याद बहुत आती है | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश

मॉ की याद बहुत आती है,आकर मुझे रुला जाती है। तब तो इतना ज्ञान नहीं था,शर्म नहीं अभिमान नहीं था।सूखे – गीले जैसे भी थे,मैं कोई भगवान नहीं था।बड़े चाव … Read More

दुर्मिल सवैया | हनुमान कृपा कर कष्ट हरो | बाबा कल्पनेश

दुर्मिल सवैया विधान-112×8 हनुमान कृपा कर कष्ट हरो , लकवा मन में अति पीर भरे।असहाय दुखी दिन दून हुआ , लख लें दृग में अति नीर भरे।।तुमसे बलवान नहीं जग … Read More

तुमने प्रियवर समझा होता | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’हरीश’

इन अधरों की प्यास कभी,तुमने प्रियवर समझा होता।मृदुल तुम्हारी अलकों में,मेरा हाथ महकता होता।टेक। मन का भॅवरा खो जाता,बलखाती तेरी ऑखों में।कदम भटकते ही रहते,नित निर्जन सूनी राहों में।सॅझवाती का … Read More

श्रमिक दिवस पर कविता | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’हरीश

श्रम- स्वेद-कण से वह नहाता।सब धूप-छॉव भी सह जाता।।निज की इच्छा नहीं बताता।हॅस कर सबका भार उठाता। धन्य मनुज मजदूर कहाता।मस्त मुदित मन साथ निभाता।।सदा सृजन रत उनको देखा।लुप्त हाथ … Read More

पहली बार दिल्ली आगमन | रत्ना भदौरिया

पहली बार दिल्ली आने का खास कारण था उससे पहले दिल्ली क्या? घर से पच्चास किमी का भी सफल नहीं तय किया था दिल्ली तो साढ़े पांच सौ किलोमीटर था … Read More

पूर्वोत्तर की लक्ष्मीबाई : रानी गाइडिंल्यू (रानी गिडालू)

स्वाधीनता आंदोलन के गदर में भारत की आजादी के लिए हजारों वीर जीवन कुर्बान हो गये। अनगिनत अमर शहीदों का वंश तक समाप्त हो गया। वो वीर सपूत या तो … Read More

मतदाता जागो | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

बजी दुन्दुभी फिर चुनाव की,मतदाता जागो।संविधान सम्मत अपना तुम,सारा हक मॉगो।टेक। राजनीति के सफल खिलाड़ी,ऑसू भी घड़ियाली हैं,खद्दर पहन बने छैला ये,बॉट रहे हरियाली हैं।नहीं तुम्हारी चिन्ता इनको,सीमा तुम लॉघो।बजी … Read More