इल्ज़ाम | ग़ज़ल | राजेन्द्र वर्मा “राज”
यूँ बेवज़ह इल्ज़ाम लगाने के बाद भी ।वो खुश नही है मुझको रूलाने के बाद भी ।। रहते नहीं हैं याद कई लोग मिल के भी । कूछ भूलते नही … Read More
यूँ बेवज़ह इल्ज़ाम लगाने के बाद भी ।वो खुश नही है मुझको रूलाने के बाद भी ।। रहते नहीं हैं याद कई लोग मिल के भी । कूछ भूलते नही … Read More
पूनम की थी रात सुहानी ,मेरी गली में आया चाँद ।धीरे-धीरे चुपके-चुपके ,मेरी गली मुसकाया चाँद ।सुंन्दर झील के ठहरे जल पर ,धीरे से लहराया चाँद ।उतर के अपने नील … Read More
स्वागत | सम्पूर्णानंद मिश्र पूरा देशखड़ा हैनववर्ष के स्वागत में दरअसलअतीत के घावजो हमारी देह पर थे कुछ सूख चुके हैंकुछ सूख रहे हैंऐसे मेंकड़वी स्मृतियों के कांटेंउस घाव कोफिर … Read More
नया साल आ रहा है | सम्पूर्णानंद मिश्र | Naye Saal Par Kavita 2023 अपनी आत्मा परकितनी नृशंसघटनाओं का बोझलादेदिसंबर माह जा रहा है लूट-पाट,हत्या, बलात्कारजैसेजघन्य पाप का साक्षीभले ही … Read More
सियासत में कयादत बोलती है | आशा शैली सियासत में कयादत बोलती हैमगर सिर चढ़के दौलत बोलती है जवां कुर्बान होते हैं वतन परकि सीमाओं पे हिम्मत बोलती है अदब … Read More
कमरे की आवाज़ | सम्पूर्णानंद मिश्र संदेश देती हैघड़ीवक्त की धारा में डुबकी लगाओ संदेश देता है पंखादिमाग ठंडा रखो न बहाओ क्रोध का पसीना अनावश्यक छत कहता हैबड़ा सोचो … Read More