Sapanon Ka Saudaagar-सपनों का सौदागर/ सीताराम चौहान पथिक
Sapanon Ka Saudaagar-सपनों का सौदागर / सीताराम चौहान पथिक सपनों का सौदागर बेच रहा हूं मैं सपनों की , लगा – लगा कर फेरी । कौन खरीदेगा लुभावने , सपनों … Read More
Sapanon Ka Saudaagar-सपनों का सौदागर / सीताराम चौहान पथिक सपनों का सौदागर बेच रहा हूं मैं सपनों की , लगा – लगा कर फेरी । कौन खरीदेगा लुभावने , सपनों … Read More
माँ की याद में कविता – माँ तुमको अलविदा ना कह पाऊँगी | हिंदी कविता माँ के लिए महामारी कोरोना वायरस के कारण हिंदी साहित्यकार डॉ. वैशाली चंद्रा के द्वारा … Read More
Bhakti Kee Mahima – भक्ति की महिमा भक्ति की महिमा आस्थाएं हों प्रबल , विश्वास में हो आत्म बल , आना ही पड़ता है उन्हें , प्रभु – भक्ति में … Read More
Corona kee upaj – कोरोना की उपज / पुष्पा श्रीवास्तव “शैली” कोरोना की उपज खोल कर धरती की छाती पर, कुठाराघात हा। काट डाले तन उसी के, पेड़ पौधे पात … Read More
पुलिस पीर जाने नहिं कोई ‘पुलिस मित्र’ किसे कहा गया है भारत की संस्कृति विश्व की प्राचीन संस्कृतियों में एक है। संस्कृति का अर्थ है- उत्तम या सुधरी हुई स्थिति। … Read More
Poem On Lord Buddha In Hindi – बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर साहित्यकार सीताराम चौहान पथिक की स्वरचित रचना जिज्ञासा हिंदी रचनाकार पाठको के समक्ष प्रस्तुत है बुद्ध जयंती … Read More
Corona Par Gazal- ग़ज़ल कोरोना पर क्रूरकाल है साथियों हर तरफ़ फैला कोरोना, क्रूरकाल है साथियों, सबको पड़ गया है रोना, क्रूरकाल है साथियों। सही सलामत आदमी भी, छोड़ दुनिया … Read More
सम्पूर्णानंद मिश्र का शब्द-समर/ श्रीधर मिश्र सम्पूर्णानंद मिश्र का शब्द-समर संपूर्णानंद मिश्र की कविताएँ पढ़ने से यह महसूस होता है कि वे सोद्देश्य रचनाकार हैं,उनकी कविताएं हमारे समय मे सीधे … Read More
Corona ek aaeena : कोरोना एक आईना / सीताराम चौहान पथिक की रचना समाज को सन्देश देना चाहती है कि कोरोना जैसी महामारी के दौरान दलालों ने खूब लूटा आम … Read More
Sab Achchha ho jaega: जब हर जगह निराशा है, साल आधा भी नही बिता एक और कोरोना जैसी महामारी , दूसरी और चक्रवात उस स्थिति में लेखिका ने सकारात्मक सोच … Read More
रामायणी दोहे धोबी के सुन कटु वचन , आहत थे श्री राम । प्राण- प्रिया सीता तजी , जन – हितकारी राम ।। सिया पतिव्रता थी जदपि , अग्नि देव … Read More
हमारे पुरखे हाड़ मांस से ही बने हुए थे हमारे पुरखे हमीं लोगों की तरह भिन्न नहीं थे हवाई यात्रा तक नहीं की थी अधिकांश ने इनमें से कई तो … Read More
कहाँ हो तुम हर पल मेरी आँख ढूंढ़ती रही । जाने कहाँ वो प्यार की मूरत गयी । दूसरों को देख कर सिसकता ही रहा । अपने ग़म सीने में … Read More
गांव की मिट्टी पर कविता | गांव की यादें | नारायण दोगाया लेखक का परिचय नाम – नारायण दोगाया जन्मस्थान – मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के राहड़कोट गांव जन्मतिथि … Read More
Poem On Nature | short poem on nature in hindi प्रकॄति- पर्यावरण असंतुलन चक्रवात बादल का फटना , हताश प्रकॄति का उल्कापात। प्रकॄति पर्यावरण दूषित हुए , कोरोनावायरस का प्रतिघात। … Read More