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प्यारी मां / दुर्गा शंकर वर्मा ‘दुर्गेश’

प्यारी मां

पल-पल याद तुम्हारी आए,
मेरी प्यारी-प्यारी मां।
तुझको भुलाऊं भूल ना पाऊं,
मेरी प्यारी-प्यारी मां।
भूख लगे जब दौड़ के आती,
दूध-भात भी साथ में लाती।
अपनी गोदी में बैठाकर,
अपनें हाथों मुझे खिलाती।
जब भी हुआ उदास कभी मैं,
याद तुम्हारी आए मां।
बचपन में वह डाट पिलाना,
आज भी मुझको याद रहा।
लेकिन मैं अच्छा बन जाऊं,
तेरा इरादा यही रहा।
जो भी जीवन में पाया है,
तुझसे ही मैंने पाया मां।
मां वरदान है सुंदर ईश्वर का,
उसका ओर ना छोर कहीं है।
ममता की चाशनी में डूबी।
दूजा मीठा प्यार नहीं है।
बेटा मेरा कृष्ण, कन्हैया,

कहती है तू मुझको मां।

दुर्गा शंकर वर्मा ‘दुर्गेश’
रायबरेली।

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