Poem on sali in hindi| sali par kavita lines|साली एक गाली
Poem on sali in hindi| sali par kavita lines|साली एक गाली
साली एक गाली
साली एक गाली है औ’, गाली इक साली है,
साली की तो भैया बस, बात ही निराली है।
जिसकी हों साली वो तो, मनुज भाग्यशाली है,
साली ना जिसकी उसकी, किस्मत ही खाली है।
जब साली जीजा कहती, मन ये पुलकित होवे,
साली को साली कहना, अब लगता गाली है।
जीजाजी के आने पर, इठलाती, इतराती,
देख-देख साली करती, बहुत ही जुगाली है।
नाता जीजा साली का, चाहे पाक-साफ़ हो,
सदा पत्नी का शक रहता, बड़ा ही सवाली है।
वो बात पत्नी की चाहे, भूल जाये इक बार,
पर साली की बात कभी, जाती ना टाली है।
कौन ऐसा आदमी है, चाहे ना साली को,
सच्ची है यह बात बिल्कुल, बात नहीं जाली है।
लाड-प्यार पा करके, जीजा का हर साली,
वो मतवाली मस्त-मस्त, नाचे दे ताली है।
शक के दायरे में नाता, हो जीजा साली का,
सबसे पहले शक करती, अपनी घरवाली है।
जिस शख्स को भी यारों, साली सुख मिल जाता,
खुशियों की मनाता वो, होली, दीवाली है ।
छोटी हो, मोटी हो या, चाहे लम्बे कद की,
प्यारी लगती है आखिर, साली तो साली है ।
चाहे साली पास रखो, या उससे प्यार करो,
मत भूलो घरवाली अपनी, जीवन की डाली है ।
अब ‘परमार्थी’ की यारों, किस्मत भी तो देखिए,
जिसकी इक नहीं, दो नहीं, पाँच-पाँच साली हैं ।
पवन शर्मा परमार्थी
कवि-लेखक
9911466020
दिल्ली, भारत ।