haseen vaadiyaan/दुर्गा शंकर वर्मा “दुर्गेश”

हसीन वादियां

(haseen vaadiyaan )
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ये हसींन वादियां,
बुला रहीं हमें।
बादलों के पास,
ले जा रहीं हमें।
ये नदी ये घाटियां,
ये पेड़ हैं चिनार के।
देखने में ऐसे लगे,
जैसे हों मीनार से।
बार-बार देखकर,
रिझा रहीं हमें।
बादलों के पास,
ले जा रहीं हमें।
गिरते हुए झरनों का,
शोर है सुहावना।
बहती हुई नदियों का,
स्वर भी है लुभावना।
प्यार भरे गीत को,
सुना रहीं‌ हमें।
बादलों के पास,
ले जा रहीं हमें।
दूर तक सफेद रंग,
किसने है फैला दिया।
कांप उठी जिंदगी,
सबको है रुला दिया।
सर्द बहुत मौसम,
बता रहीं हमें।
बादलों के पास,
ले जा रहीं हमें।
मुस्कुरा रहें हैं फूल,
हंस रही हैं घाटियां,
आसमां को चूमने को,
बढ़ रहीं हैं चोटियां।
स्वर्ग सा वातावरण,
दिखा रहीं हमें।
बादलों के पास,
ले जा रहीं हमें।
haseen-vaadiyaan
दुर्गा शंकर वर्मा “दुर्गेश”
रायबरेली।

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