bachpan geet-दुर्गा शंकर वर्मा “दुर्गेश”

 bachpan geet-दुर्गा शंकर वर्मा “दुर्गेश”

bachpan-geet-durgesh-verma
bachpan geet durgesh verma

 

बचपन गीत
—————————–

 

आजा बचपन लौट हमारे द्वारे।

 

कागज की एक नाव लिए मैं बैठा हूं,

 

साथ में लेकर बादल कजरारे।

 

आजा बचपन लौट हमारे द्वारे।

 

पानीपानी धरती दिखती,

 

उसमें कागज़ नाव भी चलती।

 

टर्रटर्र मेंढकों की बोली,

 

कीड़ों की फिर बीन है बजती।

 

मोरों को भी साथ में लेकर,

 

आजा तू पिछवारे।

 

आजा बचपन लौट हमारे द्वारे।

 

सावन के गीतों का वह स्वर सुन्दर था,

 

सबके दिल में प्यार अनूठा अंदर था।

 

उन बचपन की यादों को,

 

फिर लेकर चौबारे।

 

आजा बचपन लौट हमारे द्वारे।

 

दादीजी की वहीं कहानी,

 

जिसमें एक राजा और रानी।

 

खेलखेल में हम सब कहते,

 

मछली रानी कितना पानी।

 

आंगन में फिर रात लेटकर,

 

गिनते चांद सितारे।

 

आजा बचपन लौट हमारे द्वारे।

 

—————————

 

दुर्गा शंकर वर्मा
दुर्गेश

 

        रायबरेली।



 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *