छोटी सी गौरैया | दुर्गा शंकर वर्मा ‘दुर्गेश’
छोटी सी गौरैया
छोटी सी होती गौरैया,
झुंड में आ जातीं गौरैया।
आंगन में फिर फुदक-फुदक कर,
सबका मन भातीं गौरैया।
चूं-चूं चीं-चीं वे हैं करती,
अपनीं भाषा में कुछ कहतीं।
दानें चुगनें झट आ जातीं,
अपना असली रूप दिखातीं।
अपनें नन्हें पैरों से फिर,
उछल कूद करतीं गौरैया।
दानों को वे चुगते-चुगते,
आपस में वे हैं लड़ जातीं।
पास अगर उनके कोई जाये,
फुर्र से वे सब हैं उड़ जातीं।
अपनी भाषा में कुछ गाकर,
गीत सुनाती हैं गौरैया।
पर्यावरण सुरक्षित रखतीं,
जीवन को वे संरक्षित करतीं,
खुले आसमां में उड़करके,
दुनिया की वे सैर हैं करतीं।
आपस में मिलकर रहकर,
सीख सिखातीं हैं गौरैया।
दुर्गा शंकर वर्मा ‘दुर्गेश’
रायबरेली।
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