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देशगीत | ये मेरे प्यारे देश सुनों,मैं तेरे ही गुण गाता हूं | दुर्गा शंकर वर्मा ‘दुर्गेश’

ये मेरे प्यारे देश सुनों,
मैं तेरे ही गुण गाता हूं।
इस तन में जब तक जान बची,
मैं तुझको शीश झुकाता हूं।
तुझसे जुगुनू की चमक यहां,
तुझसे फूलों की घाटी है।
तुझसे झरनों का पानी है,
तुझसे चंदन सी माटी है।
सूरज कहता तेरे दर्शन को,
किरणों के संग मैं आता हूं।
है हरी-भरी खेती तुझसे,
बागों की छटा निराली है।
पेड़ों पर कोयल बोल रही,
कभी होली कभी दिवाली है।
कहता किसान तेरे बच्चों को,
भर पेट मैं अन्न खिलाता हूं।
है यही तिरंगा शान तेरी,
जो फहर-फहर फहराता है।
भारत मां के आंचल जैसा,
यह लहर-लहर लहराता है।
सैनिक कहता मेरी शान तभी,

जब लिपट तिरंगे आता हूं।

दुर्गा शंकर वर्मा ‘दुर्गेश’
रायबरेली।

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