Karpoori Thakur ने दी थी राष्ट्र को नई दिशा: दयाशंकर

कर्पूरी ठाकुर ने दी थी राष्ट्र को नई दिशा: दयाशंकर”

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कर्पूरी ठाकुर हायर सेकेंडरी स्कूल सूरजकुंडा जनपद रायबरेली में जननायक कर्पूरी ठाकुर पूर्व मुख्यमंत्री बिहार की जयंती के अवसर पर संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का शुभारंभ जननायक कर्पूरी ठाकुर की मूर्ति पर माल्यार्पण एवं धूप दीप प्रज्वलित से हुआ। कर्पूरी हायर सेकेंडरी स्कूल के अध्यक्ष महादेव प्रसाद वर्मा ने कहा कर्पूरी ठाकुर गरीबों के मसीहा थे और अपनी सादगी के लिए उन्हें आज भी बड़े आदर के साथ पूजा की जा रही है। शिव प्रकाश सविता ने कहा आज कर्पूरी ठाकुर जी के विचारों को हमें आत्मसात करने की आवश्यकता है। कर्पूरी ठाकुर सबसे अधिक कार्य को करने पर विश्वास करते थे कहने पर नहीं। जनता के दर्द को अपना समझ कर उनकी हर पीड़ा के लिए चिंतित रहते थे ।कर्पूरी ठाकुर हायर सेकेंडरी स्कूल के संस्थापक निरंजन प्रसाद शर्मा ने कहा मैंने जननायक कर्पूरी ठाकुर के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर उनके नाम से यह शिक्षा का मंदिर दो फूस का छप्पर रखकर शुरू किया था। आज उनकी मूर्ति स्थापित करके मैं समझता हूं उनकी प्रेरणा से ही यह सब संभव हो पाया है। असिस्टेंट प्रोफेसर दयाशंकर ने कहा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर बिहार के मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ दलित उपेक्षित गरीब निर्बल कुपोषित असहाय जनता के हृदय सम्राट थे, उन्होंने न केवल अपने राज्य बिहार के लिए काम किया बल्कि पूरे राष्ट्र को नई दिशा प्रदान की। जिस ईमानदारी की चर्चा हम आज कर रहे हैं वह उनके सिद्धांतों में थी। आज समाज में ऐसे बहुत ही कम लोग हैं जो अपने पद पर रहते हुए अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन पूरी निष्ठा से कर रहे हैं। आज ऐसे कर्मठ प्रतिभावान व्यक्ति की जयंती के अवसर पर हमारी संस्था हर वर्ष ऐसे एक व्यक्ति का सम्मान करती है, जो निर्बल गरीब व जरूरतमंद लोगों की मदद स्वार्थ भाव से करता है।
ऐसे ही शैलेश यादव प्रशासनिक सेवा में रहते हुए जरूरतमंदों की निस्वार्थ भाव से सेवा करते रहते हैं। आज उन्हें अंग वस्त्र, स्मृति चिन्ह व फूल मालाओं से सम्मानित किया गया। सम्मानित प्रभारी निरीक्षक शैलेश यादव ने कहा मैं समझता हूं मानवता मनुष्य का सबसे पहला धर्म है और ऐसा करने में मुझे और मेरे मन को आत्म संतोष मिलता है।संगोष्ठी में आए हुए सभी गणमान्य के प्रति आभार कालेज के प्रबंधक हरिओम शर्मा ने व्यक्त किया। इस अवसर पर प्रोफेसर अशोक कुमार गौतम, विपिन शर्मा, पप्पू प्रधान, निशांत शर्मा, वीरेंद्र सविता, अंबिका प्रसाद, जितेंद्र, ककोरे, राम प्रकाश फौजी, वीरेंद्र सिंह, गुरु प्रसाद, गया प्रसाद,अतुल प्रधान सहित तमाम लोग मौजूद रहे।


जीवन परिचय कर्पूरी ठाकुर

(Karpoori Thakur)


पूरा नाम- कर्पूरी ठाकुर
अन्य नाम -जननायक
जन्म -24 जनवरी, 1924
जन्म भूमि- पितौंझिया (कर्पूरी ग्राम), समस्तीपुर, बिहार
मृत्यु- 17 फरवरी, 1988
नागरिकता -भारतीय


प्रसिद्धि- वह जन नायक माने जाते थे। सरल और सरस हृदय के राजनेता माने जाते थे।
पार्टी- सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय क्रान्ति दल, जनता पार्टी, लोक दल
पद -बिहार के 11वें मुख्यमंत्री
कार्य काल- 22 दिसंबर, 1970 से 2 जून, 1971 तथा 24 जून, 1977 से 21 अप्रैल, 1979 तक दो बार बिहार के मुख्यमंत्री पद पर रहे।
अन्य जानकारी -बेदाग छवि के कर्पूरी ठाकुर आजादी से पहले 2 बार और आजादी मिलने के बाद 18 बार जेल गए।


कर्पूरी ठाकुर (अंग्रेज़ी: Karpoori Thakur, जन्म: 24 जनवरी, 1924 – मृत्यु: 17 फरवरी, 1988) भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक, राजनीतिज्ञ तथा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री थे। लोकप्रियता के कारण उन्हें जन-नायक कहा जाता था।


जीवन परिचय

(Karpoori Thakur)


24 जनवरी, 1924 को समस्तीपुर के पितौंझिया (अब कर्पूरीग्राम) में जन्मे कर्पूरी ठाकुर बिहार में एक बार उपमुख्यमंत्री, दो बार मुख्यमंत्री और दशकों तक विधायक और विरोधी दल के नेता रहे। 1952 की पहली विधानसभा में चुनाव जीतने के बाद वे बिहार विधानसभा का चुनाव कभी नहीं हारे। राजनीति में इतना लंबा सफ़र बिताने के बाद जब वो मरे तो अपने परिवार को विरासत में देने के लिए एक मकान तक उनके नाम नहीं था। ना तो पटना में, ना ही अपने पैतृक घर में वो एक इंच जमीन जोड़ पाए।

ईमानदार नेता

(Karpoori Thakur)


जब करोड़ो रुपयों के घोटाले में आए दिन नेताओं के नाम उछल रहे हों, कर्पूरी जैसे नेता भी हुए, विश्वास ही नहीं होता। उनकी ईमानदारी के कई किस्से आज भी बिहार में आपको सुनने को मिलते हैं। उनसे जुड़े कुछ लोग बताते हैं कि कर्पूरी ठाकुर जब राज्य के मुख्यमंत्री थे तो उनके रिश्ते में उनके बहनोई उनके पास नौकरी के लिए गए और कहीं सिफारिश से नौकरी लगवाने के लिए कहा। उनकी बात सुनकर कर्पूरी ठाकुर गंभीर हो गए। उसके बाद अपनी जेब से पचास रुपये निकालकर उन्हें दिए और कहा, “जाइए, उस्तरा आदि ख़रीद लीजिए और अपना पुश्तैनी धंधा आरंभ कीजिए।” एक दूसरा उदाहरण है, कर्पूरी ठाकुर जब पहली बार उपमुख्यमंत्री बने या फिर मुख्यमंत्री बने तो अपने बेटे रामनाथ को खत लिखना नहीं भूले। इस ख़त में क्या था, इसके बारे में रामनाथ कहते हैं, “पत्र में तीन ही बातें लिखी होती थीं- तुम इससे प्रभावित नहीं होना। कोई लोभ लालच देगा, तो उस लोभ में मत आना। मेरी बदनामी होगी।” रामनाथ ठाकुर इन दिनों भले राजनीति में हों और पिता के नाम का फ़ायदा भी उन्हें मिला हो, लेकिन कर्पूरी ठाकुर ने अपने जीवन में उन्हें राजनीतिक तौर पर आगे बढ़ाने का काम नहीं किया। प्रभात प्रकाशन ने कर्पूरी ठाकुर पर ‘महान कर्मयोगी जननायक कर्पूरी ठाकुर’ नाम से दो खंडों की पुस्तक प्रकाशित की है। इसमें कर्पूरी ठाकुर पर कई दिलचस्प संस्मरण शामिल हैं। उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता हेमवती नंदन बहुगुणा ने अपने संस्मरण में लिखा, “कर्पूरी ठाकुर की आर्थिक तंगी को देखते हुए देवीलाल ने पटना में अपने एक हरियाणवी मित्र से कहा था- कर्पूरीजी कभी आपसे पांच-दस हज़ार रुपये मांगें तो आप उन्हें दे देना, वह मेरे ऊपर आपका कर्ज रहेगा। बाद में देवीलाल ने अपने मित्र से कई बार पूछा- भई कर्पूरीजी ने कुछ मांगा। हर बार मित्र का जवाब होता- नहीं साहब, वे तो कुछ मांगते ही नहीं।”

 

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