Republic day poem hindi| गीत/सम्पूर्णानंद मिश्र
Republic day poem hindi : डॉ. सम्पूर्णानंद मिश्र की रचना गीत गणतंत्र दिवस पर राष्ट्र को समर्पित है जो आज़ादी के इतिहास का वर्णन करती है ।
गीत
गाएं जायेंगे
गीत फिर आज़ादी के
गणतंत्र- दिवस
के पावन अवसर पर
कुछ रटे- रटाए नामों का घोटा
दिखेगा कंगूरे पर चित्र उन लोगों के
जिन्होंने खूब मुंसिफ़ी की
चढ़ा दीं चादरें हर कत्ल
पर खुदकुशी की
नहीं चूके
हवाई- यात्रा करने में
जीया जीवन ऐशो-आराम का
खूब सुविधाएं लीं
छटपटा रहा था देश भले ही
क्योंकि मरोड़ी जा रही थी गर्दन
मुश्किल थी सांस लेनी भी
भुला दिए गए
सारे किस्से
नारकीय यातनाओं
के अब तो
बन गई है सिर्फ़ कहानी
नई पौध को सुनाने के लिए
दफ़न हो गए
उन वीरांगनाओं के नाम
जिन्होंने वैधव्य- जीवन
किया स्वीकार
मिटा दिया अपना सुहाग
नहीं देख सकती थी
कि कोई भारत- मां
की छाती पर भोंके खंज़र
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