Parakh – परख – सम्पूर्णानन्द मिश्र

Parakh – परख – सम्पूर्णानन्द मिश्र

parakh-sampoornanand-mishra

परख


किस पायदान
पर खड़े हैं
मूल्यांकन हो इसका
क्योंकि फूलों का
पायदान
पहुंचा तो सकता है शीर्ष पर
लेकिन टिका नहीं सकता
देर तक हमें वहां
हो सकता है
ख़तरनाक
एवं जानलेवा
जिस पायदान पर
मुसीबतों का शूल हो
रखो धीरे- धीरे पैर
चुभ सकता है
अवश्य हमारे पैरों में
लहूलुहान भी कर सकता है
तोड़ सकता है
मन के उत्साह को
बो सकता है
हृदय में
निराशा का बीज
टूट भी सकते हैं हम
हो सकता है कि
ढूंढ़ने लगें हम
पलायनवाद का पथ
लेकिन मित्रों
कह सकता हूं
इस आश्वस्ति से कि
संघर्ष एवं जद्दोजहद
की भट्ठी की धीमी आंच में
सफलता की रोटियां
भले ही पकें देर से
लेकिन मीठी होगी वह
इसलिए
मत भागो
संघर्ष एवं परेशानियों
के शूल के पायदान से
क्योंकि वह स्थायी रूप से
शिखर पर पहुंचाता है
जहां से गिरने का ख़तरा
शून्य हो जाता है

parakh-sampoornanand-mishra

सम्पूर्णानन्द मिश्र
फूलपुर प्रयागराज
7458994874

आपको  Parakh – परख – सम्पूर्णानन्द मिश्र  की स्वरचित हिन्दी कविता कैसी लगी, पसंद आने सामाजिक मंचो पर शेयर करे इससे रचनाकार का उत्साह बढ़ता है।

हिंदीरचनाकार (डिसक्लेमर) : लेखक या सम्पादक की लिखित अनुमति के बिना पूर्ण या आंशिक रचनाओं का पुर्नप्रकाशन वर्जित है। लेखक के विचारों के साथ सम्पादक का सहमत या असहमत होना आवश्यक नहीं। सर्वाधिकार सुरक्षित। हिंदी रचनाकार में प्रकाशित रचनाओं में विचार लेखक के अपने हैं और हिंदीरचनाकार टीम का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है।आपकी रचनात्मकता को हिंदीरचनाकार देगा नया मुक़ाम, रचना भेजने के लिए help@hindirachnakar.in सम्पर्क कर सकते है । whatsapp के माद्यम से रचना भेजने के लिए 91 94540 02444, ९६२१३१३६०९  संपर्क कर कर सकते है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *