Poem about Mother in Hindi | Maa Par Kavita in Hindi | माँ पर कविता

Poem about Mother in Hindi | Maa Par Kavita in Hindi | माँ पर कविता

मां
जिसके साथ
जुड़े होते है छोटे छोटे किस्से,

….

रात भर
गोद में लोरी सुनना,
घुटनों चलने पर
मां के हाथ का सहारा,
चलना सीखने पर
मुट्ठी में भींची हुई मां की उंगली,
बुखार आने पर
सिराहने बैठी मां और गीली पट्टियां,
एक हाथ में दवाई
दूसरे में लालच की मिठाई….

मां के बालो से
खेलता हुआ बचपन,
दूध का गिलास लिए
दौड़ती हुई मां
थपकियों में
कहानियां लिखती हुई मां….

बस्ता भारी न लगे
इसलिए बसस्टॉप तक टहलती हुई
डब्बा खुलते ही
हाथो की सौंधी महक बिखरेती हुई
हमारे इम्तिहान संभालने में
खुद को संभालना अक्सर भूलती हुई मां….

नौकरी की
मिठाई मोहल्ले भर में
बांटती हुई,

शादी की भागदौड़ में
खाना खाया की नही?
पूछती हुई,

थके हारे होने पर
तौलिया का पता भूल
आंचल से माथा पोंछती हुई मां….

हम सब के पास
मिलेंगी एक जैसी ही
सरल और सुलझी हुई,

कभी डांटती हुई
कभी पुचकारती हुई,
कभी मंदिर की
घंटियो मे सुनाई देंगी
कभी TV सीरियल मे
दिखाई देगी
कभी रसोई के
मसालो मे महकेंगी
कभी आंगन की
दहलीज पर निखरेंगी,

जब भी मिलेगी
मां तुम्हारे लिए प्रार्थना करती हुई मिलेंगी।

~ज्योति गुप्ता

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