karva-chauth-durga-shankar-verma-durgesh

प्रेम गीत | रचे महावर पॉवों में | Karwa chauth 2021 Hindi kavita

रचे महावर पॉवों में | Karwa chauth 2021

रोम-रोम पुलकित हो जाये,
तेरी सुधि की छॉवों में।
आ जाओ दृग राह निरखते,
रचे महावर पॉवों में ।टेक।

बीत गया है तुम बिन सुन लो,
सावन सूना-सूना ।
कोयलिया की कूक हूक बन,
तड़पाती नित दूना ।
कॅगना खनन-खनन ना बोले,
बेसुध पायल पॉवों में।
आ जाओ दृग राह निरखते,
रचे महावर पॉवों में।1।

कौन देश-परदेश गये तुम,
कैसे मुझको भूल गये।
ऋतु ने फिर अंगड़ाई ले ली,
कोंपल में हैं फूल नये ।
इन सॉसों को सम्बल दे दो,
मलयज बिखरे गॉवों में।
आ जाओ दृग राह निरखते,
रचे महावर पॉवों में।2।

पल-पल मुझको डसती रहती,
नागिन सी तरुणाई।
बौराया है वन,उपवन सब,
तुमको सुधि ना आई।
हार न जाऊँ मीत कहीं मैं,
जीवन के इन दॉवों में।
आ जाओ दृग राह निरखते,
रचे महावर पॉवों में ।3।

सॉझ-सॅकारे याद तुम्हारी,
क्यों मुझको तड़पाती है।
इन्द्रधनुष से सपने तेरे,
तन-मन आग लगाती है।
चुपके से आकर भर दो तुम,
मलहम दुखते घावों में।
आ जाओ दृग राह निरखते,
रचे महावर पॉवों में ।4।

हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश ‘,
रायबरेली (उप्र)
9415955693,9125908549

अन्य पढ़े ;

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *