प्रेम गीत | रचे महावर पॉवों में | Karwa chauth 2021 Hindi kavita
रचे महावर पॉवों में | Karwa chauth 2021
रोम-रोम पुलकित हो जाये,
तेरी सुधि की छॉवों में।
आ जाओ दृग राह निरखते,
रचे महावर पॉवों में ।टेक।
बीत गया है तुम बिन सुन लो,
सावन सूना-सूना ।
कोयलिया की कूक हूक बन,
तड़पाती नित दूना ।
कॅगना खनन-खनन ना बोले,
बेसुध पायल पॉवों में।
आ जाओ दृग राह निरखते,
रचे महावर पॉवों में।1।
कौन देश-परदेश गये तुम,
कैसे मुझको भूल गये।
ऋतु ने फिर अंगड़ाई ले ली,
कोंपल में हैं फूल नये ।
इन सॉसों को सम्बल दे दो,
मलयज बिखरे गॉवों में।
आ जाओ दृग राह निरखते,
रचे महावर पॉवों में।2।
पल-पल मुझको डसती रहती,
नागिन सी तरुणाई।
बौराया है वन,उपवन सब,
तुमको सुधि ना आई।
हार न जाऊँ मीत कहीं मैं,
जीवन के इन दॉवों में।
आ जाओ दृग राह निरखते,
रचे महावर पॉवों में ।3।
सॉझ-सॅकारे याद तुम्हारी,
क्यों मुझको तड़पाती है।
इन्द्रधनुष से सपने तेरे,
तन-मन आग लगाती है।
चुपके से आकर भर दो तुम,
मलहम दुखते घावों में।
आ जाओ दृग राह निरखते,
रचे महावर पॉवों में ।4।
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