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POEM ON UTTARAKHAND IN HINDI | उत्तराखंड पर कविता

POEM ON UTTARAKHAND IN HINDI | उत्तराखंड पर कविता

उत्तराखंड

घाव कैसे भरेंगे, परिवार जिनके बह गए ।
आपदा नभ से गिरी, सपने कहानी कह गए ।।

विनाश के अवशेष देखो, घाटियों में कैद हैं ।
ताश के बावन किले, छितराए और फिर ढह गए ।।

कैसे मन को दें दिलासा, लुट गया जिनका जहां ।
आँसुओ में तर कहानी, आज अपनी कह गए।

प्रकॄति से खिलवाड़ की, यह उसी का परिणाम है ।
देर तूने बहुत कर दी, महादेव भी यह कह गए ।।

केदार में डमरू बजा, ताण्डव शिवा का हो गया ।
तूने जंगल काट डाले, नदी तट भी बह गए ।।

भूला अगर घर लौट आए, इसी में सब का भला ।
चोट खाई है पथिक नादान , प्रभु भी कह गए ।।

POEM ON UTTARAKHAND IN HINDI
सीताराम चौहान पथिक

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