कृष्ण जन्माष्टमी कविता | Krishna janmashtami hindi poetry

कृष्ण जन्माष्टमी कविता | Krishna janmashtami hindi poetry

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आ जाओ कान्हा प्यारे

चलता रहेगा जीवन तेरी प्रीत के सहारे ।
राह देखती अंखियाँ मेरी आ जाओ कान्हा प्यारे।

वृंदावन की गलियों में मधुबन की कलियों में,
ढूंढ रहा मन मेरा तुझ को व्याकुल इन अंखियों में ।
दे दो दर्शन जरा तुम स्वप्न में हमारे……

रंग दे मुझको प्रीत से कान्हा,
तू है मेरे हर गीत में कान्हा ।
सृजन करुँ मन तुझको पुकारे……..

मन मंदिर में आन बसो तुम ,
स्वप्न सभी साकार करो तुम ।
दृष्टि उठाऊं जिस ओर मैं कान्हा देखूं तेरे नजारे….।

ना मैं मीरा ना मैं राधा ,
मेरा अस्तित्व तुम बिन आधा ।
दे दो मुझको अपनी भक्ति सदा चरण पखारे…..।

तुम हो जग के पालन कर्ता ,
जन जन के तुम हो दुख हर्ता।
हाथ जोड़कर करूं प्रार्थना मैं तो तेरे द्वारे……..

हर युग रूप बदल तुम आए ,
कभी राम कभी कृष्ण कहाए ।
कर में सुशोभित सुदर्शन चक्र तुम्हारे ……..
चलता रहेगा जीवन तेरी प्रीत के सहारे……..

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प्रतिभा इन्दु
भिवाड़ी, राजस्थान

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