Jaago- Jaago Gopala | जागो- जागो गोपाला 

Jaago- Jaago Gopala – जागो- जागो गोपाला / सीताराम चौहान पथिक

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जागो- जागो गोपाला 

जागो -जागो गोपाला ,
हुई भोर, उठो नंद  लाला ।

गोकुल की धेनु रंभावै ,
गोपियां – गोप अकुलावै ।

सूनी तेरी गौ- शाला ,
जागो -जागो गोपाला ।

आतंकित  मथुरा नगरी ,
अंसुवन की छलकै गगरी।

नहीं दूध – – खुली मधुशाला ।
अब तो जागो गोपाला ।।

राधा – लोचन पथराए ,
सावन अगनी बरसाए ।

यमुना में भर गई हाला ,
जागो – जागो गोपाला ।

खेती बिन पानी तरसै ,
कैसे हरियाली सरसै ।

है इंद्र – नयन में ज्वाला ,
जागो -जागो गोपाला ।

प्रिय धेनु फिरै बद -हाला ,
हैं कहां बांसुरी  वाला ॽ

राधा दर्शन की प्यासी ,
आओ, मिट जाए उदासी।

दर्शन दे जाओ कन्हैया ,
उस पार पथिक की नैया ।

jaago-jaago-gopala

सीताराम चौहान पथिक

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