कॄष्ण जन्माष्टमी | Janmashtami Poem in Hindi

कॄष्ण जन्माष्टमी | Janmashtami Poem in Hindi

 

Janmashtami -Poem- in- Hindi

कॄष्ण जन्माष्टमी

काल- कोठरी कंस  की ,
अवतरित हुए नंद  लाल ।
किए मुक्त माता-पिता ,
हुई मथुरा अवनि निहाल ।

कुरुक्षेत्र में पार्थ को ,
दिया कर्म -योग का ज्ञान ।
सत्य – मेव जयते सदा ,
बोले श्री कृष्ण भगवान ।

कान्हा की भादों – अष्टमी ,
शुभ घड़ी , करें हम स्मरण ।
गंगा  गीता गोपाल को ,
नहीं करें कभी विस्मरण ।

कॄष्ण – जन्माष्टमी पर तुम्हें ,
शत-शत अभिनन्दन आज ।
जागो, श्री कृष्ण के भक्त जन,
लुटती द्रौपदी- – – की लाज ।

भारत दुःशासन शकुनि की ,
कुटिल     चाल    से   त्रस्त ।
सीखो श्री कृष्ण से नीति कुछ
पथिक, भारत हो आश्वस्त।।
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सीताराम चौहान पथिक

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