जय-जय मदन गोपाल की / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’
जय-जय मदन गोपाल की / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर , ढेरों शुभ कामनाओं के साथ सादर, हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ की रचना पाठको के सामने प्रस्तुत है।
जय-जय मदन गोपाल की ।
स्मरण मात्र से शोभा बढ़ती,
जिसके उन्नत भाल की ।
आओ हम मिलजुल कर वोलें,
जय जय मदन गोपाल की ।।टेक।
सबके साथ विकास सभी का,
करने को जो आतुर था ,
कर्म-धर्म की विजय पताका,
फहराने में चातुर था ।
जिसकी भृकुटि-विलास नियंत्रित,
करती थी गति काल की ।
आओ हम मिलजुल कर बोलें,
जय-जय मदन गोपाल की ।1।
सदा सुपथ दिखलाया जिसने,
मोह-तिमिर का नाश किया ,
निज-निजता में भटके युग को,
पोषक ज्ञान-प्रकाश दिया ।
विश्वमोहिनी गीत सुनाती,
जिसके सुर-लय-ताल की ।
आओ हम मिलजुल कर बोलें,
जय-जय मदन गोपाल की ।2।
नित राष्ट्र-प्रेम की मर्यादित,
राहों पर चलने वाला ।
विधि-विधान का प्रहरी बनकर,
साक्ष्य समय का बनने वाला ।
वंशी अधर-सुधारस डूबी ,
जय गीत कन्हैयालाल की ।
आओ हम मिलजुल कर बोलें,
जय-जय मदन गोपाल की।3।
हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’
ई–85,
मलिकमऊ नई कालोनी,
रायबरेली -229010 (उ प्र)
9415955693
9125908549
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