नसीहत | सम्पूर्णानंद मिश्र | हिंदी कविता

नसीहत | सम्पूर्णानंद मिश्र | हिंदी कविता

पिता ने ‌पुत्र को‌
नसीहत देते हुए
कहा कि बेटा
जिंदगी में पानी की तरह
मत बहना
सपाट‌ जीवन मत जीना
रुकावटें आएंगी
तुम्हें विचलित कर
जायेंगी
तोड़ने ‌का प्रयास ‌
किया जायेगा
टूटना ‌मत
बिकना मत
झुकना मत
लड़ते रहना
जूझते रहना
जद्दोजहद ‌करते रहना
लेकिन ‌अंधेरों से
कभी हाथ मत मिलाना
उजाले को ‌
प्राप्त करने के लिए
कभी लंबी छलांग
मत लगाना
लंबी छलांग में
आदमी आदमी नहीं ‌
रह जाता
मुट्ठियां खुल जाती हैं
बेटा!
जड़ के बिना आदमी
पर कटा परिंदा हो जाता है
तब आदमी आदमी
नहीं रह जाता
वह एक खूंखार
दरिंदा हो जाता है

सम्पूर्णानंद मिश्र
शिवपुर वाराणसी
7458994874

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