kuchh log khud ko maseeha banae phirate hain/ग़ज़ल
कुछ लोग ख़ुद को मसीहा बनाए फिरते हैं। (kuchh log khud ko maseeha banae phirate hain) कुछ लोग ख़ुद को मसीहा बनाए फिरते हैं। न जाने कौन सा क़िस्सा सुनाए … Read More
कुछ लोग ख़ुद को मसीहा बनाए फिरते हैं। (kuchh log khud ko maseeha banae phirate hain) कुछ लोग ख़ुद को मसीहा बनाए फिरते हैं। न जाने कौन सा क़िस्सा सुनाए … Read More