आधार छंद वंशस्थ | बाबा कल्पनेश | हिंदी गीत
आधार छंद वंशस्थ | बाबा कल्पनेश | हिंदी गीत
आधार छंद-वंशस्थ
उषा प्रभा गान करे सुना करो।
जगी रहो और सदा गुना करो।।
प्रिये सदा प्रेम भरी रहा करो।
द्वेष भरे भाव नहीं गहा करो।।
विचार के नेक प्रभाव में रहो।
मिले यहाँ कष्ट उन्हें सभी सहो।।
कहें सभी श्रेष्ठ वही धुना करो।
उषा प्रभा गान करे सुना करो।।
निशा लखो रीत गई अँजोर है।
धरा हुई पूर्ण अहो विभोर है।।
विभावरी बीत गई अरी सुनो।
जगे हुए भाव प्रभात के गुनो।।
लखो इसे पंथ यही चुना करो।
उषा प्रभा गान को सुना करो।।
प्रमाद का त्याग करो अलापना।
उठो चलो मार्ग विशाल नापना।।
नहीं कभी धार बहाव में बहो।
उठो अरी!नित्य प्रवीण हो अहो।
दिवा सदा नीक लगे बुना करो।
उषा प्रभा गान करे सुना करो।।
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