Aas aur Vishvaas -आस और विश्वास / महेश चंद्र शर्मा ‘राज’

Aas aur Vishvaas -आस और विश्वास / महेश चंद्र शर्मा ‘राज’

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आस और विश्वास…


मैं  जीवन  के  दोराहे  पर  खड़ा  हूं आस  को  थामे।
मैं मंजर साथ सभी  लेकर  बढ़ा  हूं  सांस  को  थामे।
उड़े हैं सब रेत  का गुब्बार बन आफत की आंधी  में।
मैं सपने जीने की जिद  पर  अड़ा हूं  लाश को  थामे।
किसी को साथ आने की ना मुझको  जाने की  चिंता।
करता कुछ पाने की कोशिश नहीं खो जाने की चिंता।
जो  तू है  साथ मेरे  क्यों  मुझे हो  जमाने  की  चिंता।
मैं  जग  में  आगे  बढ़ना  चाहता  हूं  हाथ  को  थामे।
कोई  क्या  देगा  मुझको  मेरे  उद्योग  से  भी  ज्यादा।
तुझसे  जीवन  मिला  यही है बहुत उपकार का वादा।
कमाई  कर  रहा  हूं  नित  तुम्हारे मैं  नाम की डटकर।
मैं  अपनी  खुद की नजरों  में चढ़ा  हूं राशि  को थामे।
मैं  अपने  साथ  क्या  लेकर  के आया था  जमाने में।
न  ले  जा  पाऊंगा  दौलत  गंवा  दी  वय  कमाने  में।
चला  सीना  फुलाकर  घर विरादर सब के आगे राज़।
मैं  जा  बैठा  घमंड  के  ढेर पर  कुछ खास को‌ थामे।
-महेश चंद्र शर्मा ‘राज’

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महेश चंद्र शर्मा ‘राज’ का  जीवन परिचय

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महेश चंद्र शर्मा ‘राज’

 

नाम महेश चंद्र शर्मा ‘राज’
 पता
 294,गली नं.- 5/3,
संजय एंक्लेव, नंगला रोड,
एन आई टी, फरीदाबाद (हरियाणा)
मूल निवासी – बल्देव (दाऊजी), जिला- मथुरा
शिक्षा 
 एम.ए.(अर्थशास्त्र), बी. एड.,
व्यवसाय – लेखाकार,
 जन्म स्थान ग्राम सिमरिया, जिला बेगूसराय, बिहार, भारत
प्रकाशित रचनाएं
बृह्मसुधा, साहित्य नामा, प्रखर गूंज आदि पत्रिकाओं में रचना तथा लेख प्रकाशित,
 विविध
सक्रिय सदस्य – दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन, दिल्ली
विधाएं – दोहा, मुक्तक, छंद, कहानी, मुक्त कविताएं, गीत, ग़ज़ल इत्यादि,
साहित्यिक काव्य गतिविधियों और हिंदी के प्रचार-प्रसार में सक्रिय,
सम्मान – अभी तक कोई नहीं

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