Hindi Gazal Lachari | लाचारी/ सीताराम चौहान पथिक
लाचारी | Hindi Gazal Lachari
हर साथ ढूंढता है कोई ,
बस – साथ के लिए ।
हर हाथ ढूंढता है कोई ,
इक हाथ- – के लिए ।।
कितना बदल गया है वक्त,
मेरे खुदा – – – – बता ।
अब तरसता है आदमी ,
बस , बात के लिए ।।
जीने की आरजू है- – – ,
कैसे जिए ये दिल ।
इतने ना- बद नसीब थे ,
हालात के लिए ।।
खून ही जब खून को ,
देने लगे दगा ।
अब ज़िन्दगी बची है ,
सवालात के लिए ।।
जो जिंदगी में साथ ,
निभाने को था मिला ।
वो दूर जाके बैठा है ,
दिले – जज़्बात को लिए ।।
अब रह गई है ज़िन्दगी ,
नगमों में कह सकूं ।
कुछ गीत बच गए हैं ,
पथिक – -सफरात के लिए ।।
- लाचारी- विवशता,
- आरजू-इच्छा,
- दगा- धोखा
- सवालात-प्रश्नों,
- नगमों- गीतों
- सफरात – सफर यात्रा ।।
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