Poem on hindu new year-हिन्दू नववर्ष पर कविता
Poem on hindu new year
विश्व व्यापी महामारी कोरोना से भयभीत जगत को, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से प्रारम्भ भारतीय नव वर्ष विक्रम संवत 2078 की, निम्नांकित रचना के माध्यम से ढेरों मंगल कामनायें :–
नववर्ष पर छोटी कविता
नव संवत्सर मंगलमय हो ।
क्रूर असत्य पर सत्य की जय हो।
×× ×× ××
खिले-खिले हों बाग-बगीचे ,
खिली-खिली फुलवारी हो ।
मधुमय गन्ध सुगन्ध समेटे,
कलिका नवल कुॅवारी हो ।
अधर-अधर नव प्यास जगाता,
फगुनाहट मस्त मलय हो ।
नव संवत्सर मंगलमय हो ।1।
×× ×× ××
ऋद्धि- सिद्धि परिपूर्ण धरित्री ,
नवल ऊर्जा कण-कण में ।
विश्व-वन्द्य हो धन्य संस्कृति,
तप,त्याग उदार समर्पण में।
धर्म ध्वजा अम्बर लहराये ,
प्रिय मातृभूमि की जय हो।
नव संवत्सर मंगलमय हो ।2।
×× ×× ××
बीते पल का दुख ना पूछो,
सच रोम-रोम कम्पित हो जाता।
शौर्य-पराक्रम सिसक रहे सब,
व्यथा भार द्विगुणित हो जाता।
दिव्य ज्ञान मानव पा जाये ,
कोरोना पर पूर्ण विजय हो।
नव संवत्सर मंगलमय हो।3।
×× ×× ××
नव विकास की मधुरिम बेला,
नवल सृजन उद्घोष करे ।
जन-जन परहित-रत होकर,
मधु अम्बर परितोष झरे ।
दुर्दिन के बादल छॅट जायें,
तुष्टि-प्रदायक अरुण उदय हो।
नव संवत्सर मंगलमय हो।4।
हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’
रायबरेली (उ प्र)229010
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