sapanon mein rang bharatee chidiya/हरिश्चंद्र त्रिपाठी ‘हरीश’
सपनों में रंग भरती चिड़िया।
(sapanon mein rang bharatee chidiya)
चूॅ-चूॅ चीं चीं करती चिड़िया ,
सूरज निकला कहती चिड़िया ।1।
घर-ऑगन तक दौड़ लगा कर,
उठ जाओ अब कहती चिड़िया ।2।
चलो तुम्हें मैं सैर कराऊॅ,
सबसे कह कर उड़ती चिड़िया ।3।
दाना चुगती पानी पीती ,
नहीं कभी कुछ कहती चिड़िया।4।
रंग-बिरंगे पर फैला कर ,
नील गगन में उड़ती चिड़िया ।5।
घास-फूस का बना घोंसला ,
चूजों के संग रहती चिड़िया ।6।
कलरव करती उड़ती रहती ,
सपनों में रंग भरती चिड़िया ।7।
सीमा का बन्धन न कोई ,
द्वेष-द्वन्द न रखती चिड़िया ।8।
देख रहा हूँ लोग झगड़ते ,
कैसे सुख से रहती चिड़िया ।9।
हरिश्चंद्र त्रिपाठी ‘हरीश,
रायबरेली (उ0प्र0)
9415955693,9125908549
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