Poem On Lord Buddha In Hindi – बुद्ध पूर्णिमा

Poem On Lord Buddha In Hindi – बुद्ध पूर्णिमा  के पावन अवसर पर साहित्यकार सीताराम चौहान पथिक की स्वरचित रचना जिज्ञासा हिंदी रचनाकार पाठको के समक्ष प्रस्तुत है बुद्ध जयंती  Buddha jyanti  को बुद्ध धर्म के  लोग बड़ी श्रद्धा से मनाते है , वेसक उत्सव इसका दूसरा नाम है , इसी दिन महात्मा बुद्ध का जन्म , ज्ञान , महापरिनिर्वाण   ये तीनो  घटनाएं बुद्ध पूर्णिमा के दिन हुए थे।  भगवान विष्णु का अवतार हिन्दू लोग बुद्ध को मानते है , वे भी इस दिन  को धूमधाम से मनाते है , बुद्ध धर्म को मानने वाले 180 करोड़ से अधिक लोग है , ये बुद्ध जयंती भारत समेत १३ से अधिक देशों में मनाई जाती है।

जिज्ञासा 


कब जीवन की संध्या  होगी ॽ
कब जीवन का नव – प्रभात ॽ
यह अनंत का गूढ़ प्रश्न है ,
समाधान अब तक अज्ञात ।

चेतन तत्व आत्मा – जिसका ,
आदि – अंत  ना ओर न छोर।
तन – पिंजर  से उड़ा गगन में ,
हुआ विलीन विराट की ओर

तन्त्र मंत्र — आध्यात्म सभी ,
मानव के आत्म तत्त्व पर मौन ।
कैसी है रहस्यमयी आत्मा ॽ
मॄत्यु बाद ॽ सब साधे मौन ।

कैसा है वह अमर तत्व ॽ
गीता ने परम ब्रह्म बतलाया ।
वहीं तत्व मानव में – यद्यपि ,
मानव अमर नहीं बन पाया ।

तन निर्जीव – तत्व जब छूटा ,
विज्ञान दीखता है निरुपाय ।
कोई यन्त्र श्चास लौटा दे ,
वैज्ञानिक कर रहे उपाय ।

विज्ञान – यन्त्र कोई ना बना,
जो प्राण – तत्व को लौटा दे ।
तन में तन की अद्भुत रचना ,
कैसे सम्भव ॽ यह समझा दे ।

ऐसे अबूझ अनगिनत प्रश्न ,
विज्ञान- शोध चल रही मगर ।
कुछ अधर बीच कुछ अनसुलझे ,
जिज्ञासाओं की कठिन डगर।


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सीताराम चौहान पथिक

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