Premlata sharma koee to javaab do/ कोई तो जवाब दो

Premlata sharma koee to javaab do

कोई तो जवाब दो


कोई तो जवाब दो
हवाओं से पूछो घटाओं से पूछो
किसने घोला है जहर चांद तारों से पूछो
यह खूबसूरत दुनिया क्यों बदसूरत हुई जा रही है
हिमालय की ऊंची श्रृंखलाओं से पूछो
यह बर्बादियों का दौर कहां जाकर खत्म होगा
भोर की सुनहरी किरणें तुम ही बता दो
मातम ही मातम है खुशी खो गई है
अब तो सब्र की सीमा ही टूट चुकी है
कहां अर्जी लगाएं ईश्वर तेरा दर भी बंद है
कोई तो बताएं यह सफर कब खत्म होगा
ऊपर वाले तू ही बता दे इसकी मंजिल कहां है
हर एक दीए की रोशनी गुल हो रही है
मंजिल कहां है नजर नहीं आ रही है
पथिक टूटकर कारवां से बिछड़ रहे हैं
न जाने कितने तेरे लाल चिर निंद्रा में सो गए हैं
अब तो आंखें खोल और थमा दे ये मौत का तांडव
हाहाकार कर देख ऊपर वाले तेरी दुनिया रो रही है


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प्रेमलता शर्मा

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