Pyar ka Dard – प्यार का दर्द – विमल अवस्थी

Pyar ka Dard – प्यार का दर्द – विमल अवस्थी

प्रस्तुत है एक कविता – प्यार का दर्द ( जो बया करती है कैसे छिन जाता है सुख और चैन जब हो जाता है प्यार का मर्ज ) विमल अवस्थी की  स्वरचित रचना पाठको के सामने प्रस्तुत है।

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प्यार का दर्द

प्यार का दर्द


दिल को कैसे समझाए की मज़ाक था वो
मानने को तैयार ही नहीं है….
दिमाक से कब का निकल चुकी है
पर दिल से जाने को तैयार ही नहीं है….

अब हम रोते है छिप – छिप कर
कोई जाने ना
सोचता हूं जान दे दूं उसकी विरह में
पर माँ के दिल का टुकड़ा हूं
मन माने ना

खता तो हो ही गई हमसे जो हम उनसे दिल लगा बैठे
किसे दोष दे,
हम अपनो से ही दगा खा बैठे…..

सच कहते है इस दिल में सिवा उसके
कोई और न आएगा
आजमा के चाहे देख ले दुनियां
अब ये दर्द भरा दिल
किसी को अपना न बनाएगा…..

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विमल अवस्थी ( रायबरेली यूपी )

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