सपने जब से तुम्हारे आने लगे हैं | Prem Geet
सपने जब से तुम्हारे आने लगे हैं | Prem Geet
सपने जब से तुम्हारे आने लगे हैं
सपने जब से तुम्हारे आने लगे हैं।
प्रेम के ही सुमन खिलखिलाने लगे हैं।।
सब ओर लगता है, ये मौसम मनोरम,
प्यार की बरसात भी होती है झमझम,
जिसमें हम तुम दोनों नहाने लगे हैं।
सपने जब से तुम्हारे आने लगे हैं।।
कली मन की मधुबन में खिलने लगी है,
प्रेम को इक रंगत भी मिलने लगी है,
दर्पण के आगे भी शरमाने लगे हैं।
सपने जब से तुम्हारे आने लगे हैं।।
अब तो मन में बसे कि बस तुम ही तुम हो,
इस प्रेम की बगिया में खिलता कुसुम हो,
अपनी पलकों पर ही बिठाने लगे हैं।
सपने जब से तुम्हारे आने लगे हैं।।
कल्पना में तुम मीत छाये ही रहते,
प्यार की ही बस केवल बातें हो करते,
गीत मोहब्बत के गुनगुनाने लगे हैं।
सपने जब से तुम्हारे आने लगे हैं।।
दोहावली
(१)
ऊँचे स्वर में बोलिये, राम प्रभू का नाम।
कृपा सभी पर जो करें, वो ही तो श्री राम।।
(२)
राम धाम का हो रहा, फिर से पुनरुत्थान।
इसलिए सभी कीजिये, राम नाम गुणगान।।
(३)
अयोध्या में हो रहा, मन्दिर नव निर्माण।
खुलकर उसको दीजिये, भक्ति भाव से दान।।
(४)
राम नरायण रूप हैं, दशरथ के हैं लाल।
मर्यादित ही जो रहे, जग में बने मिसाल।।
(५)
कुछ ऐसे भी लोग हैं, दें न राम को मान।
उसका नाम लेने में, भी समझें अपमान।।
(६)
ऐसे लोगों के लिए, खट्टे हैं अंगूर।
राजनीतिक कारण से, हुए राम से दूर।।
(७)
साजिशों से बाहर आ, मिला न्याय आदेश।
सच की होती जीत है, पहुँचा जग सन्देश।।
(८)
पाँच सौ साल बाद में, जीती हमने जंग।
सारी दुनिया रह गई, न्याय देखके दंग।।
पवन शर्मा परमार्थी
कवि-लेखक
दिल्ली, भारत।
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