टूटे हुए दिलो की आस मैं लिखता हूं – विमल अवस्थी
टूटे हुए दिलो की आस मैं लिखता हूं – विमल अवस्थी
टूटे हुए दिलो की आस मैं लिखता हूं
मैं तो सौदागर हूं प्यार का खामोश लबों के
अल्फाज मैं लिखता हूं…
टूटे हुए दिलो की आस मैं लिखता हूं-2
शिकायत है तुझे तो जाकर कर उससे
जिसने बनाया मुझे
लगा के जाम दो पैक..
मैं हर रात लिखता हूं
टूटे हुए दिलो की आस मैं लिखता हूं…..
गम कितना है
इस जमाने में ज्ञात है तुझे
टूट कर जिए हुए दिलो की
दो बात मैं लिखता हूं
रूठे हुए दिलो की आस मैं लिखता हूं…..
मैं तो सौदागर हूं गमों का तेरे
हर गम खरीदने की औकात मै रखता हूं
टूटे हुए दिलो की आस मैं लिखता हूं……2
हा मैं लेखक हूं घायल मोहब्बत का
छिपा के आंसू…
तेरी हर एक दगा का इल्जाम मैं लिखता हूं
टूटे हुए दिलो की आस मैं लिखता हूं…..
आगे की पंतिया…
मुस्कुरा के गुजरती हो मेरे सामने से
जैसे कुछ हुआ ही नहीं….
तेरी इसी मुस्कुराहट पर लूटकर
दिन रात मैं लिखता हूं….
टूटे हुए दिलो की आस मैं लिखता हूं
टूटे हुए दिलो की आस मैं लिखता हूं
विमल अवस्थी
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