Hindi Geet Rajguru Bhagat Singh Sukhdev
Hindi Geet Rajguru Bhagat Singh Sukhdev
राजगुरु –भगतसिंह–सुखदेव
राजगुरु-सुखदेव-भगत की,आओ हम सब जय बोलें।
इनकी जय-जयकार बोलकर,निज जीवन में रस घोलें।।
ये प्राणों की आहुति देकर,शुभ मंगलमय दिन लाए।
जिससे भारत में प्रभात के,दृग ने शिव दर्शन पाए।।
पूरब के इस महादेश में,सजी-सँवर ऊषा आई।
श्वास-श्वास पल्लवित हो उठे,धरती ने निज छवि पाई।।
सुंदर-सहज हवा बहती है,अधर-अधर अब हम खोलें।
राजगुरु-सुखदेव भगत की,आओ हम सब जय बोलें।।
महानिशा का राष्ट्र छितिज पर,बहुत गहन अँधियारा था।
अत्याचारी गोरे जन का,ऊँचे उछला पारा था।।
निज प्राणों के आहुति के बल,तब इनने ललकारा था।
अँग्रेजों भारत से भागो,खुल्लम-खुल्ला नारा था।।
खोल प्रगति के द्वार सभी हम,अपने भुज बल को तोलें।
राजगुरु-सुखदेव-भगत की,आओ हम सब जय बोलें।।
व्यर्थ न त्याग कभी हो इनका,मूल्य धरोहर का जानें।
कौन प्रगति में रोड़ा बनता,दृग से अपने पहचानें।।
जो अवरोधक कुचलें उनको,और प्रगति के पथ नापें।
रौंद चलें सब कंटक जितने,बचे विरोधी वे काँपें।।
होली लाई प्रीति परस्पर,हृदय-हृदय में हम हो लें।
राजगुरु-सुखदेव-भगत की,आओ हम सब जय बोलें।।
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