Poem on World water day in hindi- पानी से ही जीवन अपना

Poem on World water day in hindi

पानी से ही जीवन अपना


पानी से ही जीवन अपना,जीवन के हर सपने।
जान-जान अनजान बन रहे,युग जन जितने अपने।।
कौन भला समझा सकता है,जल बिन नहीं पनपने।
व्यर्थ बहाते नीर देखकर,उर तल लगता कपने।।

नानी की यह बानी सुनकर,बच्चे पीड़ा पाए।
खेल जहाँ का तहाँ छोड़ कर,दौड़े-दौड़े आए।।
नानी-नानी आँसू कैसे,नयन तुम्हारे छाए।
किससे पीड़ा पाकर तुमने,आँसू ये ढरकाए।।

कहो हृदय में पीड़ा कैसी,हम बच्चे भी जानें।
किसने दी है पीड़ा बोलो,उस पर मुट्ठी तानें।।
बच्चों की मुँह बोली नानी,बानी लगी सुनाने।
व्यर्थ हो रहा पानी जितना,लगता हृदय सताने।।

सोचो बच्चों सागर क्या है?केवल पानी-पानी।
इस पानी से जानो तुम सब,जल की मछली रानी।।
कामधेनु-एरावत-अमृत,मिलते मथे मथानी।
नीर अभाव हुआ यदि भू पर,होगी शून्य कहानी।

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बाबा कल्पनेश

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