Holi Par kavita-होली पर साहित्यिक कविता

Holi Par kavita


होली


होली आई होली आई
रंगों की बौछारे लाई
अपने साथ उमंगे लाई
होली तो आती है पर पहले सा उत्साह नहीं
रंगों की अगर बात करें तो
उनमें भी वह  बात    नहीं
कहां गए वह दिन जब होली दस्तक देती थी
गली मोहल्लों में फाग ढोल की आवाज गूंजती थी
कुछ तो इंसान  बदल गए हैं
कुछ प्रकृति ने रंग बदला है
इसीलिए मनुष्य के जीवन में
रंगों का रंग अब फीका है
रिश्तो में भी अब वो बात नहीं
गले एक दूसरे से तो मिलते हैं
पर दिल नहीं अब मिलते हैं
त्यौहार बस आडंबर बनकर रह गया
अब वैसी होली कब आएगी
जब आपस में गले नहीं दिल मिलेंगे


जीवन और रंग


जीवन और रंग
सात रंगों का जीवन से
बड़ा ही सुंदर मेल है
रंगों के बिना यह जीवन सूना और बड़ा बेमेल है
श्वेत रंग जीवन में सादगी का स्वरूप है
लाल रंग का जीवन में शुभता का प्रतीक है
हरा रंग जीवन में हरियाली का सूचक है
रंग पीला जीवन में पवित्रता का पाठ पढ़ाता है
केसरिया रंग हमें बलिदानी की याद दिलाता है
रंग गुलाबी गुलाबों की तरह
मुस्कुराते रहने का मंत्र देता है
और रंग बैगनी जीवन में
इंद्रधनुषी छटा बिखेर ता है
मनुष्य अगर इन रंगों से
जीवन में कुछ ग्रहण करता है
उस मनुष्य का जीवन आदरणीय और सार्थक हो जाता है

Holi -Par- kavita
प्रेमलता शर्मा

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