Hindi kavita hindu kee praasangikata

हिन्दू की प्रासंगिकता 

(Hindi kavita hindu kee praasangikata)


हम हिन्दू हैं- कहो गर्व से ,
विवेकानंद का कथन यही था
धर्म- निरपेक्ष कुछ अवसरवादी ,
किया अनर्थ हिन्दू संस्कृति का ।

हिन्दू नहीं – सिन्धु थे पहले ,
सिन्धु घाटी के रहने वाले ।
सम्बोधन – स – ह- में बदला ,
यूनानी थे – कहने वाले ।

सिन्धु नदी के सिंध राज्य पर ,
अलक्षेन्द्र ने वार किया जब ।
यूनानी सेना ने हिंदू कहा — ,
ग्रीक भाषा में था तब ।।

अर्थ अनर्थ करने वालो ने ,
संकुचित किया शब्द हिंदू को
हिन्दू शब्द समन्वय बोधक ,
लांछित  किया शब्द हिंदू को।

सिन्धु सभ्यता के वंशज  हम,
सिन्धु कहो अथवा हिन्दू ।
प्राग- ऐतिहासिक काल हमारा ,
सभी जातियां हैं हिन्दू ।।

राजनीति के कुशल दिग्गजों ,
हिन्दू इक विचारधारा है ।
जाति नहीं- संस्कृति की सूचक ,
थर्म शास्त्र वर्णित तारा है ।

विवेकानंद का यह सम्बोधन ,
समस्त अमेरिका सम्मोहित था ।
हिन्दू की सुन विषद व्याख्या ,
विश्व धर्म प्रतिनिधि मोहित था

काश्मीर – कन्याकुमारी तक ,
हिन्दू युवा एक हो जाओ ।
नरेंद्र विवेकानंद– वही मोदी,
नरेन्द्र है — गले लगाओ ।।

हम हिन्दू हैं – धर्म आर्य है ,
आदिकाल से हम है हिन्दू ।
देश- द्रोहियों के कुचक्र सब ,
सहे — अमर हैं आज भी हिन्दू

अस्सी प्रतिशत सभी संगठित
आर्य- भूमि की लाज बचाओ
भारत फिर से बने विश्व- गुरु ,
पथिक- शंख  ध्वनि आज गुंजाओ  ।।

Hindi -kavita- hindu- kee- praasangikata
सीताराम चौहान पथिक

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