Aurat hindi kavita/डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र

Aurat hindi kavita:  डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र  की हिंदी कविता  औरत हिंदीरचनाकर के पाठकों को समर्पित की है इस कविता में लेखक ने औरत की स्थिति का वर्णन किया वह अपने कर्म को बिना स्वार्थ के निरन्तर करती है इस कविता को पढ़ने के बाद औरत के प्रति आपका नजरिया में बदलाव आएगा। 

औरत


होती है
बिल्कुल
अलग औरत
पुरुष से
जीने का एक ही ढर्रा
कभी पप्पू की ख़्वाहिश
तो कभी पिंकी की
पूरी करने में लगा देती है
ज़िंदगी अपनी दांव पर
न कोई गिला न कोई शिकवा
जला देती है अरमानों को अपने
ममता की धीमी आंच में
भूल जाती है
खूंटियों पर टांग कर
समग्र इच्छाओं को
जो झूलती रहती हैं
हवा के झोंकों से
झूल-झूल कर
झूल जाती हैं एक दिन
कर लेती हैं बर्दाश्त सब कुछ
क्योंकि रचनाशील
होती है औरत
मिट जाती है सृजन के लिए
नहीं है इनका विश्वास विध्वंस में
प्राप्त करती है
गर्भ से ही प्रशिक्षण
बैठा दी जाती है
इनके कोमल मस्तिष्क में
जी सकती हो सुकून से
इस बर्बर समाज में
प्रसूता बनकर ही
ले सकती हो उतनी ही सांसें
जितनी देर चढ़ी रहोगी
त्याग की चाक पर
ये औरत होती ही
है बिल्कुल अलग

Aurat- hindi -kavita
डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र
प्रयागराज फूलपुर
7458994874

आपको Aurat hindi kavita/डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र की हिंदी कविता कैसी लगी अपने सुझाव कमेंट बॉक्स में अवश्य बतायें। 

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