Swapn Mein tum – स्वप्न में तुम / सीताराम चौहान पथिक
Swapn Mein tum – स्वप्न में तुम / सीताराम चौहान पथिक
स्वप्न में तुम
स्मृतियां मधुर स्वर्णिम सुखद,
स्वागत तुम्हारा आगमन ।
ऋतु शिशिर में वासन्ति तुम ,
मधुवन में ज्यों सुरभित पवन।
तुम आईं निर्जन नीड़ में ,
आनन्द का अनुभव हुआ ।
शहनाइयां बजने लगीं ,
मधुमास का उद्भव हुआ ।
स्वप्न में आना तुम्हारा ,
यूं लगा लौट आई हो ।
फूल की मुस्कान और ,
तरुणाई बन कर छाई हो ।
जैसे ही हो- बस स्वप्न में ,
मिलने तो आ जाया करो ।
संगीतमय हो जाए जीवन ,
नव – राग बन जाया करो ।
सांध्य की परछाइयां गहरा गई ,
फिर रात होगी – फिर बात होगी ।
स्मृतियां फिर स्वप्न में – – – ,
साकार होंगी मुलाकात होगी।
सोलह वर्ष की दारुण कथा ,
कुछ गीत में , कुछ ग़ज़ल में,
पथिक बन कर गा रहा हूं ,
कुछ अगल में, कुछ बगल में।
सीताराम चौहान पथिक
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